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ठाणे लोकसभा चुनाव: शिवसेना के सामने गढ़ बचाने की कडी चुनौती, सांसद राजन विचारे और पूर्व सांसद आनंद परांजपे की बीच होगी जंग...


ठाणे। मतदाताओं की संख्या के लिहाज से ठाणे महाराष्ट्र का सबसे बड़ा मतदान क्षेत्र है। चुनाव आयोग ने 31 जनवरी, 2019 तक इस क्षेत्र में 23 लाख 72 हजार 232 मतदाता दर्ज किए हैं। पिछले चुनाव की तुलना में दो लाख 34 हजार 756 मतदाता बढ़े हैं। इस मतदान क्षेत्र के एक तरफ नवी मुंबई जैसा तेजी से उभरता शहर है तो दूसरी ओर मीरा भाईंदर जैसा एरिया है, जहां पर आबादी तेजी से बढ़ रही है।
मध्य, पश्चिम, हार्बर और ट्रांस हार्बर चारों रेल लाइन से जुड़ा है। इस लोकसभा क्षेत्र ने अपने में तीन अलग-अलग महानगरपालिका को समेटे हुआ है। क्षेत्र के मतदाता लोकल ट्रेन में चढ़ने-उतरने के लिए रोज सुबह-शाम जद्दोजहद करते हैं। ठाणे और मीरा-भाईंदर में पेयजल के साथ परिवहन, यातायात जैम, फेरीवालों जैसी अन्य बुनियादी समस्या है। नवी मुंबई में पुनर्विकास और पुनर्वसन बड़ी समस्या है। सिडको में आने वाले पुराने क्षेत्रों के पुनर्विकास का काम रुका है, जिसे पटरी पर लाने की जिम्मेदारी नए चुने सांसद की होगी। इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र में विकास की असीम क्षमताएं हैं। आने वाले दिनों में मेट्रो रेल का जाल बिछेगा।
ठाणे लोकसभा सीट का इतिहास,
ठाणे लोकसभा निर्वाचन कभी कोलाबा लोकसभा क्षेत्र का एक भाग हुआ करता था। 1984 में कांग्रेस के शांताराम घोलप, 1989 और 1991 में बीजेपी के राम कापसे ने जीत हासिल की थी। बाद में शिवसेना के प्रकाश परांजपे का एकछत्र राज आया। मतदाताओं ने परांजपे को 1996, 1998, 1999, 2004 तक लगातार संसद में भेजा। सांसद रहते ही उनका निधन हो गया। 2008 में उपचुनाव कराया गया, जिसमें शिवसेना ने प्रकाश परांजपे के राजनीतिक वारिस आनंद परांजपे को मौका दिया। आनंद ने जीतकर शिवसेना खेमे में आनंद ही आनंद फैलाया।
कुछ यूं है लोकसभा सीट का हिसाब-किताब
2009 के लोकसभा चुनाव में आनंद अपना कल्याण करने के लिए कल्याण लोकसभा चुनाव क्षेत्र चले गए। कल्याण में भी आनंद ने जीत का आनंद फैलाया लेकिन उनके जीत का आनंद जल्द ही नाराजगी में बदल गई। मातोश्री से अनबन होने के बाद उन्होंने शिवसेना को 'जय महाराष्ट्र' कहकर शरद पवार की 'घड़ी' पहन ली। सन 2009 के लोकसभा चुनाव में ठाणे लोकसभा से एनसीपी के संजीव नाईक ने शिवसेना के दिग्गज नेता विजय चौगुले को मात दे दी। सालों बाद यहां पर शिवसेना के अलावा दूसरे किसी पार्टी के जीत का झंडा बुलंद हुआ। वैसे एनसीपी के नाईक की जीत में और शिवसेना के चौगुले की हार में राज ठाकरे की एमएनएस की बड़ी भूमिका रही। पिछले लोकसभा चुनाव में नाईक को हराकर राजन विचारे ने एक बार फिर शिवसेना का भगवा लहराया। वैसे, 2009 से 2014 तक छोड़ दें तो इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र पर शिवसेना का पिछले 18 साल से कब्जा रहा है। इस बार सांसद राजन विचारे और ठाणे शहर एनसीपी अध्यक्ष आनंद पराजपे के बीच जंग है।
स्थानीय निकाय का गणित
इस लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा हैं, जिसमें तीन पर बीजेपी और दो पर शिवसेना के विधायक हैं। एक एनसीपी का विधायक है। मीरा-भाईंदर से बीजेपी के नरेंद्र मेहता विधायक, ठाणे से बीजेपी के संजय केलकर, कोपरी-पांचपाखाडी से शिवसेना के एकनाथ शिंदे, ओवला-माजीवाडा से शिवसेना के ही प्रताप सरनाईक, ऐरोली से एनसीपी के संदीप नाईक, बेलापुर से बीजेपी की मंदा म्हात्रे विधायक है। वहीं, यहां की तीन महानगरपालिकाओं पर भी शिवसेना-बीजेपी का ही जोर है। तीन महानगरपालिकाओं में से ठाणे पर शिवसेना, नवी मुंबई पर एनसीपी तथा मीरा-भाईंदर महानगरपालिका पर बीजेपी का कब्जा है। 131 सीटों वाली ठाणे महानगर पालिका में शिवसेना के 67, एनसीपी के 34, बीजेपी के 23, कांग्रेस के तीन, एमआईएम के दो और अन्य दो नगरसेवकों का समावेश है।
परिसीमन के चलते शिवसेना, एनसीपी और एमआईएम के 47 नगरसेवकों का क्षेत्र कल्याण लोकसभा में चला गया है। 105 नगरसेवकों के सीटों वाली नवी मुंबई महानगर पालिका में सर्वाधिक एनसीपी के 55 नगरसेवक हैं। इसके अलावा शिवसेना के 16, कांग्रेस के 13, बीजेपी के एक और चार निर्दलीय नगरसेवक हैं। 95 नगरसेवकों वाली मीरा-भाईंदर महानगर पालिका में बीजेपी का कब्जा है और उसके 62 नगरसेवक हैं। यहां शिवसेना के 22 और कांग्रेस के 11 नगरसेवक हैं। ठाणे महानगर पालिका में हिंदी भाषी, मराठी, गुजराती, मुस्लिम, सिंधी मतदाता हैं। नवी मुंबई में हिंदी भाषी, मराठी, मुस्लिम, ईसाई और सिख समुदाय मतदाता है। मीरा-भाईंदर में गुजराती, मारवाड़ी, हिंदी भाषियों का वोट बैंक अधिक है। मराठी मतदाता तीसरे स्थान पर हैं। यहां बड़ी संख्या मुस्लिम मतदाताओं की भी है।
वर्तमान सांसद का रिपोर्ट कार्ड
चार बार नगरसेवक रह चुके राजन विचारे ठाणे महानगर पालिका में महापौर रहे थे। "वर्तमान सांसद का रिपोर्ट कार्ड"
चार बार नगरसेवक रह चुके राजन विचारे ठाणे महानगर पालिका में महापौर रहे थे। उसके बाद विधायक और फिर सांसद बने थे। संसद में विचारे की उपस्थिति 78 फीसदी रही। इन्होंने 52 बहसों में हिस्सा लिया था। उन्होंने कुल 490 प्रश्न पूछे थे। अपनी 25 करोड़ की विकास निधि में से विचारे ने 98.95 फीसदी खर्च किया। विचारे की संपत्ति वर्ष 2009 में दो करोड़ थी, जो 2014 में 10 करोड़ हो गई थी। 2009 में विचारे के नाम पर 11 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनकी संख्या वर्ष 2014 में बढ़कर 13 हो गई थी।

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