मुंबई। आरक्षण को लेकर आजादी के बाद से ही सियासत होती रही है। खासकर चुनाव सर पर हो तो आरक्षण पर राजनीति जमकर होती है। एक बार फिर से आरक्षण को लेकर मामला गरमाता जा रहा है। कुछ समुदाय लगातार आरक्षण की मांग कर रहे हैं। जिसमें महाराष्ट्र में मराठा वर्ग भी एक है। इसी कड़ी में अब महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। दरअसल मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार गुरुवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में बिल पेश किया। इससे पहले बुधवार को महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए बिल को पास करने के लिए अगर जरूरत हुई तो महाराष्ट्र विधानमंडल के सत्र को बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले इसी महीने की 18 नवंबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने घोषणा करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय शैक्षणिक और समाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं, इसलिए सरकार इस वर्ग को 'स्पेशल कैटेगरी फॉर बैकवर्ड क्लासेज' (एससीबीसी) के तहत आरक्षण देगी।
इससे पहले सीएम देवेंद्र फडणवीस ने संकेत दिए थे कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने का औपचारिक ऐलान 1 दिसंबर को किया जा सकता है.
फडणवीस ने कहा था कि हमें मराठा आरक्षण पर बैकवर्ड कमीशन की रिपोर्ट मिल गई है. मैं आप सबसे निवेदन करता हूं कि आप 1 दिसंबर को जश्न की तैयारी करिए. फडणवीस के इस बयान से माना जा रहा था कि सरकार मराठाओं को आरक्षण देने का ऐलान कर सकती है.
16 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश',
इससे पहले 15 नवंबर को महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठों को 16 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी. इस मामले में आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी थी. महाराष्ट्र में 30 फीसदी आबादी मराठों की है, इसलिए उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने की जरूरत है.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठों को आरक्षण देने के दौरान ओबीसी कोटे में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा. अगर इस आरक्षण पर मुहर लगती है तो सभी श्रेणी को मिलाकर राज्य में कुल 68 फीसदी आरक्षण हो जाएगा जबकि अभी राज्य में अलग-अलग वर्ग को मिलाकर 52 फीसदी आरक्षण है.
पिछले काफी समय से चले आ रहे मराठा आंदोलन के दौरान अब तक राज्य परिवहन की बसें जलाकर ही करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान राज्य को हो चुका है.
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