लखनऊ। केंद्र में डीजी सीआइएसएफ के पद पर तैनात उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी ओमप्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस के नए महानिदेशक होंगे। ओपी सिंह आज रिटायर हो रहे सुलखान सिंह की जगह लेंगे। ओपी सिंह के पास डीजीपी पद पर काम करने का लंबा समय है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक ऐसे अफसर की तलाश कर रही थी जिसके पास आगामी लोकसभा चुनाव कराने तक का लंबा समय हो। सरकार के हिसाब से ओपी सिंह कसौटी पर खरा उतरते हैं। मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार तथा प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री शशि प्रकाश गोयल की कमेटी ने ओपी सिंह के पुलिस महानिदेशक के पद के नाम पर मुहर लगाई।
कमेटी की संस्तुति पर 1983 बैच के आइपीएस अधिकारी ओपी सिंह को प्रदेश का नया पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही आनंद कुमार को एडीजी लॉ एंड आर्डर बनाया गया है। प्रदेश सरकार ने नए डीजीपी के कार्यभार ग्रहण करने तक एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार को डीजीपी का कार्यभार संभालने का आदेश दिया है। रविवार को दोपहर में ही डीजीपी सुलखान सिंह ने उन्हें कार्यभार सौंप दिया।
प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि ओपी सिंह प्रदेश पुलिस के महानिदेशक का पद तीन जनवरी को संभालेंगे। केंद्र सरकार की कार्यवाही पूरी होने में दो-तीन दिन लग सकते हैं। इस मामले में ओपी सिंह सरकार की प्राथमिकता में फिट बैठ रहे थे। उनका कार्यकाल जनवरी 2020 तक है। इसके अलावा वरिष्ठता सूची के हिसाब से डीजीपी पद के पहले दावेदार प्रवीण सिंह का कार्यकाल जून 2018 तक है। वर्ममान में वह डीजी फायर के पद पर तैनात हैं।
यूपी डीजीपी की रेस में बड़ा फेरबदल किया गया है। आईपीएस ओपी सिंह को डीजीपी बनाया गया है। 1983 बैच के आईपीएस अफसर ओपी सिंह को आज चेन्नई से अचानक लखनऊ बुलाया गया है। ओपी सिंह के अलावा कई नामों की चर्चा थी। जिनमें प्रवीण सिंह, शिव कुमार शुक्ला, भावेश कुमार सिंह और रजनीकांत मिश्रा भी पंक्ति में थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1983 बैच के आईपीएस ओपी सिंह पर भरोसा जताया।ओपी सिंह को अचानक लखनऊ बुलाया गया है, वो चेन्नई से यहां पहुंचेंगे। वरिष्ठता के मामले में ओपी सिंह सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर के अफसर हैं। लंबा कार्यकाल और अनुभव ही उनके लिए लिए मुफीद रहा। पदभार संभालने के बाद वो ढाई साल तक उत्तर प्रदेश में डीजीपी के पद पर रहेंगे।
योगी सरकार में बदमाशों और अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं, लेकिन फिर भी नए डीजीपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में कानून व्यवस्था को ट्रैक पर लाने की होगी। सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में करीब 1000 एनकाउंटर कर 2,000 से अधिक अपराधियों को जेल में पहुंचाया गया है। ओपी सिंह डीजी सीआईएसएफ के पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। ओपी सिंह सीनीयरटी में सबसे लंबे कार्यकाल वाले सातवें नंबर के अफसर हैं। उनके पास लंबा कार्यकाल और अनुभव बना है। ओपी सिंह के पास काम करने के लिए ढ़ाई साल का लंबा वक्त है। योगी आदित्यनाथ सरकार एक ऐसे अफसर की तलाश कर रही थी जिसके पास आगामी लोकसभा चुनाव कराने तक का लंबा वक्त है। सरकार के हिसाब से ओपी सिंह कसौटी पर खरा उतरते हैं। ओपी सिंह ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के डीजी के पद पर तैनात है। सीआईएसएफ के पास देश के महत्वपूर्ण औद्योगिक और परमाणु प्रतिष्ठानों, नागरिक हवाई अड्डों व मेट्रो की रक्षा करने की जिम्मेदारी है। ओपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच अधिकारी हैं, जो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक के रूप में सेवा कर रहे थे। उनका कार्यकाल जनवरी 2020 तक है। वीरता के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक प्राप्त ओपी सिंह एकमात्र डीजी रैंक के अधिकारी हैं। उनको एनडीआरएफ में कुछ बेहतरीन मानक संचालन प्रक्रियाओं की शुरुआत करने के लिए श्रेय दिया गया है और बड़े पैमाने के दौरान मैदान पर अपने लोगों का नेतृत्व किया है। नेपाल भूकंप बचाव और राहत कार्यों पिछले वर्ष उन्होंने एसपीजी, सीआरपीएफ व सीआईएसएफ में पहले सेवा की थी। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के छात्र रहे हैं और और आपदा प्रबंधन में एमबीए की डिग्री उन्हें प्राप्त है।
ओपी सिंह बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं। वर्तमान में सीआईएसएफ डीजी के पद पर तैनात हैं। महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ सीआईएसएफ को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, अति महत्वपूर्ण व्यक्ति (VIP) सुरक्षा, आपदा प्रबंधन तथा हैती में यूएन की सशस्त्र व पुलिस यूनिट (FPU) स्थापना की सुरक्षा करने जैसे कार्य भी हाल ही में को सौंपे गए थे। 1983 बैच के आईपीएस ओमप्रकाश सिंह मूल रूप से गया, बिहार के निवासी हैं।
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