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महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूरों को ठाकरे सरकार उनके प्रदेशों में भेजने के पक्ष में




Maharashtra COVID-19
मुंबई. कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया है। लॉकडाउन की वजह से सभी उद्योग बंद पड़े हैं, ऐसे में महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में दूसरे राज्यों के मजदूर फंसे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठाकरे सरकार महाराष्ट्र में फंसे अन्य राज्यों के मजदूरों को उनके घर भेजने के पक्ष में है।

बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट के उप समिति की बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि जो मजदूर यूपी-बिहार, राजस्थान या अन्य राज्यों से हैं, उन्हे उनके राज्यों में भेजा जाए। इसके लिए हर राज्य की सीमा पर इमीग्रेशन विभाग की तर्ज पर एक अस्थायी विभाग बनाकर मजदूरों की जांच की जाए और पूरी जांच के बाद मजदूरों को उनके गृहनगर भेजा जाए। महाराष्ट्र सरकार का कहना हैं कि केंद्र इस पर विचार करें।

प्रधानमंत्री आर्थिक चिंताओं को दूर करने में विफल रहे है: शिवसेना-राकांपा

 वही शिवसेना और राकांपा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करने के दौरान आर्थिक चिंताओं को दूर करने में विफल रहे है। इन दोनों पार्टियों ने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन में कमी थी क्योंकि उन्होंने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक प्रभावित लोगों तथा गरीबों के लिए राहत पैकेज के लिए कोई उपाय नहीं बताए।

शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांडे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि शुक्र है कि उन्होंने प्रधानमंत्री इस बार थाली बजाने या दीये जलाने जैसा कोई काम नहीं दिया। कयांडे ने कहा कि पीएम मोदी अलग से घोषणा करने के बजाय मंगलवार को नए दिशा-निर्देशों के साथ ही लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘‘वह कोरोना वायरस से निपटने के लिए विस्तृत कदम उठा सकते थे, विभिन्न क्षेत्रों में महामारी से उत्पन्न खतरे के आधार पर गतिविधियों पर लगी पाबंदियों में छूट दे सकते थे।’’

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