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जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष नियुक्त हुए देश के पहले लोकपाल, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी




नई दिल्ली। देश को बहुप्रतीक्षित लोकपाल मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल होंगे। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसकी मंजूरी दे दी है। लोकपाल की चयन समिति ने लोकपाल अध्यक्ष और आठ सदस्यों के नाम तय किए गए हैं। समिति ने लोकपाल अध्यक्ष के लिए जस्टिस पीसी घोष का चयन किया है।

जस्टिस घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं। देश के लिए ऐतिहासिक समय साकार होने वाला है, जब भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली सर्वोच्च संस्था लोकपाल की नियुक्ति होगी। इसकी चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लोकपाल कानून के तहत इसकी जांच के दायरे में प्रधानमंत्री भी आएंगे। लोकपाल सीबीआइ समेत सभी जांच एजेंसियों को निर्देश दे सकता है।

केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की चयन समिति की बैठक विगत शुक्रवार यानी 15 मार्च को हुई थी जिसमें लोकपाल और उसके चार न्यायिक व चार गैर न्यायिक कुल आठ सदस्यों का चयन किया गया। पीएम समेत इस चयन समिति में कुल पांच सदस्य हैं।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, नेता विपक्ष और जानेमाने कानूनविद मुकुल रोहतगी सदस्य हैं। चूंकि अभी नेता विपक्ष का पद पर कोई नहीं है, इसलिए सरकार ने लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस समिति में विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाती है।

हालांकि शुक्रवार को हुई चयन समिति की बैठक में खड़गे ने भाग नहीं लिया। खड़गे को नेता विपक्ष के बजाए स्पेशल इनवाइटी के तौर पर बैठक में आमंत्रित किये जाने पर एतराज था। सूत्र बताते हैं कि लोकपाल के अध्यक्ष पद के लिए 66 वर्षीय घोष को सर्वसम्मिति से चुना गया है।

लोकपाल अधिनियम को 16 जनवरी, 2014 को अधिसूचित किए जाने के करीब पांच साल बाद जस्टिस घोष को देश का पहला लोकपाल बनाया जा रहा है। लोकपाल के वेतन-भत्ते देश के मुख्य न्यायाधीश के वेतन-भत्ते जितने होते हैं और सदस्यों का वेतन सुप्रीम के जज के वेतन जितना होता है।

लोकपाल में अध्यक्ष और सदस्यों का पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु होने तक का कार्यकाल होगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत सात मार्च को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा था कि वह दस दिन के भीतर बताएं कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए नामों का चयन करने वाली चयन समिति की बैठक कब होगी।

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