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आयोध्या: सुनवाई टलने से पक्षकारों में नाराजगी, संतों ने कहा, कानूनी प्रक्रिया से समाधान हो रहा है प्रभावित




 दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि
मामले की सुनवाई टाले जाने के बाद अयोध्या में हिंदू और मुस्लिम पक्षकार काफी नाराज दिखे।
एक ओर जहां दोनों ही समुदाय के लोगों ने कोर्ट से मामले का जल्द निपटारा कराने की मांग की, वहीं दूसरी ओर संत समाज और हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने केंद्र पर अध्यादेश के जरिए मंदिर निर्माण का दबाव भी बनाया।
सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई टलने के बाद राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा, 'कानूनी प्रक्रिया से समाधान प्रभावित हो रहा है। जो समाधान होना चाहिए, वह कोर्ट नहीं कर पा रहा है। हिंदू समाज के लोगों की निगाह योगी और मोदी पर है, ऐसे में अब सरकार को चाहिए कि कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण कराया जाए।'
वहीं निर्वाणी अखाड़ा के महंत और पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा, 'मामला धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए कोर्ट को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा तारीखें केवल इलेक्शन को देखकर बढ़ाई जा रही हैं, इसी कारण कोर्ट ने किसी भी पक्ष को बिना सुने ही तारीख बढ़ाने का फैसला दे दिया।' वहीं दूसरी तरफ विवाद से जुड़े मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि 70 सालों से मामले को खींचा जा रहा है और इसी मंशा से पहले भी कई लंबी तारीखें दी जा चुकी हैं। हालांकि हाजी महबूब ने यह भी कहा कि उन्हें कोर्ट पर भरोसा है और यह उम्मीद है कि अदालत सबूतों के आधार पर ही अपना फैसला देगी।
'अदालत में ही हो रही है राजनीति'
बाबरी मस्जिद के पैरोकार हाजी महबूब ने कहा, सब लोग चाहते है कि फैसला जल्द से जल्द हो, लेकिन आज जिस तरह से जनवरी की डेट दी गई है इससे तो यही लगता है कि अब कोर्ट में भी पॉलिटिक्स हो रही है, और वह केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार ही नही राष्ट्रपति भी बीजेपी के ही है, लेकिन चुनाव करीब है इसलिए मामले को टलवा कर पीएम देश की जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि हम तो विवाद का हल चाहते थे, लेकिन अदालत के कारण कोई निर्णय नहीं हो सका।
सुप्रीम कोर्ट ने दी जनवरी की तारीख,
इसके पहले सोमवार को कोर्ट में चीफ रंजन गोगोई जस्टिस की पीठ में दोनों पक्षकारों ने दलील थी कि नंवबर में सुनवाई शुरू हो जाए लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को जनवरी के लिए पहले हफ्ते के लिए टाला जाता है। तभी यह तय होगा कि कौन सी पीठ मामले की सुनवाई करेगी और सुनवाई की तारीख क्या होगी। कोर्ट ने कहा कि पीठ जनवरी में तय करेगी कि सुनवाई जनवरी में हो कि फरवरी या मार्च में। जल्द सुनवाई की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी अपनी प्राथमिकता है, यह उचित पीठ तय करेगा कि सुनवाई कब से हो।

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