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ओला- उबर की हड़ताल से टैक्सी और आँटो रिक्शा वालों की चांदी




फाइल फोटो: हड़ताल पर ओला-उबर के ड्राइवर

मुंबई। पिछले सोमवार से मुंबई में शुरू हुई ओला-उबर की हड़ताल जारी है। इससे यात्रियों की परेशानियां बढ़ रही हैं, लेकिन काली-पीली टैक्सी और ऑटो रिक्शा की कमाई में इजाफा हुआ है। करीब 90 प्रतिशत से अधिक ऐप आधारित कैब बंद रहीं। यह हड़ताल महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय कामगार संघ की तरफ से की जा रही है। इसी बीच काली-पीली टैक्सियों के 'भाव' बढ़ गए हैं। उपनगरों में ऑटो वाले यात्रियों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं।
आमतौर पर ओला या उबर बुक करने के 5-10 मिनट के अंदर उपभोक्ता को टैक्सी मिल जाती है, लेकिन हड़ताल की वजह से केवल 10 प्रतिशत टैक्सियां सड़कों पर हैं और इन्हें बुक करने वालों को 22-25 मिनट तक इंतजार करना पड़ रहा है। हड़ताल का दूसरा असर किराए पर पड़ा है। सामान्य तौर गिरगांव चौपाटी से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक का किराया 140-160 रुपये होता है, लेकिन हड़ताल की वजह से किराया 280-300 रुपये तक पहुंच गया। दोनों ही कंपनियों की टैक्सी में शेयर बुकिंग बड़ी मुश्किल से हो रही है। कामगार संघ की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जब तक कंपनियां ड्राइवरों की मांग स्वीकार नहीं कर लेतीं, हड़ताल जारी रहेगी।
कंपनियों की ओर से खामोशी बरकरार,
लगातार हड़ताल के बावजूद अभी ओला या उबर की ओर से कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। कंपनी के सूत्रों के अनुसार, चंद लोगों की मांग और डराने के कारण अन्य ड्राइवर टैक्सी सर्विस नहीं दे रहे हैं। ड्राइवरों का कहना है कि हमें कारों के स्तर के अनुसार, न्यूनतम किराया 100 रुपये से 150 रुपये बढ़ाकर देना चाहिए।
इसके अलावा प्रति किमी किराया 18 रुपये से बढ़ाकर 23 रुपये करना चाहिए। इस मामले में धनंजय मुंडे और एनसीपी नेता सचिन अहिर ने गुरुवार को परिवहन मंत्री दिवाकर रावते से मुलाकात की थी। एनसीपी ने इस मामले में राज्य सरकार को दखल देने की बात कही है। ड्राइवरों ने राज्य सरकार से एक ऐप तैयार करने की अपील की है, जिसका पूरा नियंत्रण सरकार के पास होना चाहिए।
कमाई को लेकर आश्‍वासन चाहते हैं ड्राइवर,
एक ड्राइवर का कहना है, 'हम 3000 रुपये रोजाना कमाई को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं।' हड़ताल में भाग लेने वाले एक ड्राइवर ने कहा, 'डीजल दामों की बढ़ोतरी के बावजूद उबर जैसी फर्मों ने किराया घटा दिया, इससे हमारी कमाई प्रभावित हो रही है। हम टैक्सी फर्म के अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि ड्राइवरों की आमदनी में सुधार किया जाए।'

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