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बेटे को 18 साल से ढूंढ रहा था परिवार, घर के पास ही स्कूल के सेप्टिक टैंक में मिला कंकाल




प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नई दिल्‍ली: एक परिवार अपने बेटे को पिछले 18 सालों से भारत के हर कोने में खोजता आ रहा था लेकिन उसका नरकंकाल घर के पास ही एक स्कूल के सेप्टिक टैंक में मिला. अब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतज़ार है. बीते बुधवार को बाहरी दिल्ली के मुखमेलपुर गांव के एमसीडी स्कूल में नए टॉयलेट को बनाने के दौरान एक पुराने सेप्टिक टैंक के ढक्कन को खोला गया तो हर किसी के होश फाख्ता हो गए. अंदर बेहद बुरी हालत में एक नरकंकाल था, जो टैंक के अंदर अलग-अलग हिस्सों में पड़ा था. ये नरकंकाल देखने से ही 15 से 20 साल पुराना लग रहा था.
पंकज राणा नाम के चश्मदीद ने बताया, 'हमने जैसे ही चेम्बर को हटाया, क्रीम कलर की पैंट थी और कुछ हड्डियां दिखीं, फ़ोन का इस्तेमाल कर अंदर घुसा, इस साइड में स्कल गिरी हुई थी, खोपड़ी, सामने कुछ हड्डियां और जो ऊपर का हिस्सा था चेस्ट और टीशर्ट वो इस तरफ थे, कपड़े का कलर था ब्लू पट्टा और ऑरेंज पट्टा.'
लोगों ने पुलिस को नरकंकाल की जानकारी दी लेकिन इसी बीच इस गांव में ही रहने वाले शौकत अली भी पहुंच गए और इस टैंक से 18 साल पुराने एक मामले की परतें खुलने लगीं. कंकाल पर जो कपड़े थे उनसे शौकत अली के बेटे के घर लौटने की उम्मीद पूरी तरह से टूट गयी. उनका बेटा जावेद 22 जून साल 2000 में साढ़े 13 साल की उम्र में घर से गायब हो गया था. तब वो कोल्ड ड्रिंक की बोतल पड़ोस की दुकान में वापस करने गया था.
जावेद के गायब होने के बाद पिता शौकत ने पुलिस में केस भी दर्ज कराया था. कुछ दिन बाद फिरौती के लिए एक कॉल भी आया, जिसमें कहा गया कि तुम्हारे एक रिश्तेदार ने हमसे पैसे लिए वो पैसे वापस करवा दो नहीं तो बच्चे को मार देंगे. लेकिन फिर कोई फ़ोन नहीं आया. जावेद की तलाश में शौकत का परिवार कहां-कहां नहीं भटका, कंगाल हो गया. लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला.
जिस स्कूल में ये नरकंकाल मिला वहां जावेद पढ़ता भी नहीं था, 1993 में बना ये सेप्टिक टैंक तब से बंद ही पड़ा है क्योंकि ये प्रयोग में नहीं था. सवाल ये है कि इतने भारी ढक्कन को उठाकर बच्चे को अंदर किसने डाला. पुलिस का कहना है कि डीएनए टेस्ट के बाद ही साफ होगा कि नरकंकाल जावेद का है या नहीं.

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