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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आज जेल भरो आंदोलन, अब तक पांच लोग कर चुके हैं आत्महत्या




मुंबई. नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे मराठा संगठनों ने 1 अगस्त से जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी है। सोमवार को भी महाराष्ट्र के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन किए गए। पुणे के पास चाकण में आंदोलनकारियों ने 150 से ज्यादा वाहनों में तोड़-फोड़ की और 55 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इनमें 25 सरकारी बसे शामिल हैं। इन सबके बीच महाराष्ट्र के बीड जिले में एक शख्स ने आरक्षण की मांग को लेकर फांसी लगा ली।
अब तक पांच लोगों ने दी अपनी जान: जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को बीड जिले के खेज तहसील में रहने वाले अभिजीत देशमुख नाम के शख्स ने अपने घर के पास स्थित पेड़ से लटक कर जान दे दी। बीड जिले के एसपी जी श्रीधर ने बताया कि,"हमें एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें लिखा गया है कि मैं यह कदम मराठा आरक्षण की मांग पूरी न होने पर उठा रहा हूं।" इसमें बेरोजगारी और बैंक से लिया लोन न चुका पाने को भी मौत का कारण बताया गया है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। इससे पहले 29 जुलाई को महाराष्ट्र के नांदेड़ में कचरू कल्याण नाम के एक युवक ने भी आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या कर ली थी। वहीं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अब तक तीन लोग अपनी जान दे चुके हैं।
5 हजार लोगों पर मामला दर्ज :सोमवार को पुणे में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने तकरीबन 5 हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ चक्का जाम करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हिंसा करने, दंगा फैलान, धारा 144 उल्लंघन, पुलिसवालों पर हमला करने का केस दर्ज किया है। पुलिस सीसीटीवी और मीडिया फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान में जुटी हुई है। दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहा है मराठा समाज:मराठा समाज की मांग है कि सरकार आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी मामले वापस लें, आंदोलनकारियों पर झूठे मामले दर्ज करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई हो और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील माफी मांगें। साथ ही कंलबोली में हुए पुलिस लाठीचार्ज की जांच की भी मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि कोई भी मराठा संगठन मुख्यमंत्री से चर्चा के लिए न जाए।
कांग्रेस विधायक देंगे सामूहिक इस्तीफे:प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "आरक्षण को लेकर कांग्रेस विधायकों की भावना काफी उग्र है और उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का प्रस्ताव रखा है।"
धनगरों ने भी दी चेतावनी:मराठा आरक्षण को लेकर जारी हिंसा सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है, उधर धनगर आरक्षण का मामला भी गूंजने लगा है। सोमवार को उत्तम जानकर और गोपीचंद पडलकर ने पत्रकारों से कहा कि सरकार को 1 सितंबर से पहले धनगर आरक्षण के बारे में फैसला करना चाहिए, वरना वे भी आक्रामक आंदोलन करेंगे।

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