Skip to main content

अमित शाह के काफिले के सामने आई दो छात्राओं को, पुलिस ने बाल पकड़कर घसीटा,और लाठी से पीटने की वीडियो हुई वायरल




इलाहाबाद: इलाहाबाद में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया. दो लड़कियां हाथ में काला कपड़ा लेकर काफिले के सामने आ गईं. अचानक ऐसा होने के कारण गाड़ियां आपस में टकराने से बाल बाल बचीं. ये दोनों छात्राएं समाजवादी छात्र सभा से जुड़ी हुई हैं.
काफिले को रोककर उन्हें काला झंडा दिखाने वाली दोनों छात्राओं की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. छात्राओं को यूपी पुलिस के एक पुरुष दरोगा ने बाल पकड़कर घसीटा तो वीआईपी नेता के सरकारी सुरक्षाकर्मी ने छात्रा को लाठी से सरेआम पीटा.
सेंट्रल युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को तमाम शिकायतों के बावजूद अब तक हटाए नहीं जाने के सवाल को लेकर अमित शाह को काला झंडा दिखाने वाली छात्राओं की पुरुष सुरक्षकर्मियों द्वारा सरेआम पीटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
वायरल वीडियो को लेकर तमाम चर्चाएं भी हो रही हैं. लोगों का कहना है कि छात्राओं को बाल पकड़कर घसीटना और उन्हें लाठी से पीटना कतई ठीक नहीं है. विरोध करने वाली दोनों छात्राएं समाजवादी छात्र सभा से भी जुडी हुई हैं.
दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुरु पूर्णिमा पर संगम के शहर इलाहाबाद गए थे और उन्होंने वहां कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. दोपहर को जब वह वापस लौट रहे थे तो कीडगंज इलाके में समाजवादी छात्र सभा के सदस्यों ने उन्हें काला झंडा दिखाने की कोशिश की.
बाद में जब वह एयरपोर्ट के करीब धूमनगंज इलाके में पहुंचे तो इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के कुछ छात्र छात्राओं ने काफिले को रोककर काला झंडा दिखाया. पुरुष पुलिस वालों ने छात्रों के साथ ही छात्राओं को भी घसीटकर किनारे किया.
इस बीच एक पुलिसवाले ने एक छात्रा के बाल पकड़कर उन्हें घसीटते हुए पुलिस वैन में बिठाया, जबकि किसी वीआईपी नेता के सरकारी सुरक्षाकर्मी ने नेहा यादव नाम की रिसर्च स्कॉलर को सरेआम लाठी से मारा. मौके से हिरासत में लिए गए चारों छात्रों को धूमनगंज थाने में रखा गया. हालांकि अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई बताई जा रही है.

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्...

चार लोकसभा और 10 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे थोड़ी देर में, कैराना सीट पर सबकी है नजर

 पालघर। देश के 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए उपचुनाव के नतीजे आज बृहस्पतिवार को आएंगे। बृहस्पतिवार सुबह 8 बजे इन सभी सीटों पर मतों की गिनती शुरू हो चुकी है। इन सभी सीटों में से सबसे ज्यादा नजर उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर रहेगी। यहां बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां रालोद उम्मीदवार का समर्थन कर रही हैं। 2019 लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे देश में विपक्षी पार्टियां कैराना में बीजेपी को हरा कर एक बड़ा संदेश देना चाहती हैं। सोमवार को हुए मतदान में काफी जगह ईवीएम-वीवीपैट में गड़बड़ी की खबरें आई थीं, जिसके बाद यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा और नगालैंड की एक विधानसभा सीट के कुछ पोलिंग बूथों पर दोबारा वोट डलवाए गए थे। कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर में भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन के कारण उप चुनाव हो रहे हैं। कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव पर देश के राजनीतिक दलों की निगाहें हैं। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस चुनाव की नतीजे देश की सियासत को नया संदेश देने वाले हैं। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट क...

महाराष्ट्र से वापस लौट सकेंगे प्रवासी मजदूर,डीएम की अनुमति होगी जरूरी

मुंबई। लॉकडाउन की वजह से देशभर में लॉकडाउन लागू है. अलग-अलग राज्यों के मजदूर और लोग दूसरे राज्यों में फंस गए हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख गुरुवार को कहा कि प्रवासी और अन्य फंसे हुए लोग अपने-अपने राज्यों में जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद वापस लौट जाएंगे. जिला मजिस्ट्रेट ही प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका में होंगे. लोगों को नाम, मोबाइल नंबर, गाड़ियों का विवरण(अगर हो तो), राज्य में अकेले हैं या साथ में हैं, इन सबका क्रमवार ब्यौरा देना होगा. महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगभग 6 लाख मजदूर फंसे हैं. ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के हैं. इस वक्त इन मजदूरों के रहने-खाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार पर है. हालांकि कुछ मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय की ओर से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक मजदूर अपने राज्यों को लौट सकेंगे. राज्य इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. दरअसल बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, लोगों और ...