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समय-सीमा से एक साल पहले देश में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन, तीन अगस्त को खुलेगा पहला टेंडर




प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुलेट ट्रेन की यात्रा करते हुए। (फोटो-ट्विटर अकाउंट-नरेन्द्र मोदी)

दिल्ली। विपक्ष की ओर से हवा- हवाई प्रोजेक्ट कहा जाने वाला देश में अब बुलेट ट्रेन ख्वाब नहीं हकीकत बनेगी। इसकी राह में आने वाली हर अड़चन को राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन दूर कर रहा है। वजह कि यह  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। विपक्ष की ओर से हवा-हवाई प्रोजेक्ट होने के लग रहे आरोपों पर मोदी सरकार ने जवाब देते हुए जहां जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी की, वहीं अब पहले टेंडर की डेट भी तय कर दी है। जी हां, देश की इस सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी रेल परियोजना का पहला टेंडर महज आठ दिन बाद तीन अगस्त को खुलने जा रहा है। यह टेंडर है 210 मीटर लंबे विशेष पुल का, जो बुलेट ट्रेन कोरिडोर के उन 59 पुलों में शामिल हैं, जिन्हें बनाया जाना है। यह प्री-स्ट्रैस्ड बैलेंस पुल गुजरात के नवसारी जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर निर्मित होगा।सरकार की ओर से बताया जा रहा है कि परियोजना पूरी होने की समय-सीमा भले ही 2023 तक निर्धारित है, मगर साल भर पहले 2022 तक ही काम पूरा कर संचालन शुरू करने की तैयारी है। दरअसल, मुंबई हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट के लिए कुल 26 टेंडरों का पैकेज तय हुए हैं। इसमें छह टेंडर आमंत्रित किए गए। छह टेंडर में से जो टेंडर तीन अगस्त को खुलेगा, वह मुंबई की ओर 235.379 किमी पर पुल संख्या दस से संबंधित है। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार(25 जुलाई) को सांसद के अशोक कुमार को दिए लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। वहीं सांसद विनायक भाऊराव, आनंदराव, डॉ. प्रीतम, धर्मेंद्र यादव, श्रीरंग, आधलराव पाटिल ने रेल मंत्री से लिखित में बताने को कहा था कि क्या बुलेट ट्रेन केवल अमीर वर्ग की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी और साधारण लोगों की पहुंच से दूर होगी। इस पर रेल मंत्री ने कहा है कि बुलेट ट्रेन के संचालन से वैश्विक निवेश बढ़ने की संभावना है। वहीं इसे यात्रा में समय कम खर्च होगा। जिससे रेलयात्रियों के लिए किफायती विकल्प होगा।
उधर संसद में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि परियोजना के लिए जापान से 0.1 प्रतिशत ब्याज दर पर 50 साल के लिए लोन मिला है। 15 साल तक ब्याज का भुगतान नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को पांच गुना ज्यादा मुआवजा देने पर काम चल रहा है।
बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए तय सीमाः राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन के सूत्रों के मुताबिक अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कोरिडोर के लिए 2018 के अंत तक जमीन अधिग्रहण का कार्य निपटा लेने की पूरी संभावना है। फिर जनवरी 2019 से जोर-शोर से काम शुरू हो जाएगा। बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की लंबाई 508 किमी है। महाराष्ट्र के पालघर जिले से करीब 110 किमी हिस्सा होकर गुजरता है। गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर रोड़े खडे़ किए तो सरकार ने सर्किल रेट से पांच गुना ज्यादा मुआवजा देकर मनाने की कोशिस की है। सरकार दावा है कि इसमें सफलता मिली है। जमीनों का अधिग्रहण शुरू हो गया है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण में ही 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सूत्र बता रहे हैं कि चूंकि बुलेट ट्रेन एलिविटेड ट्रैक पर दौड़नी है, इस नाते ज्यादा भूमि की भी जरूरत नहीं है। लिहाजा प्रोजेक्ट में देरी का सवाल नहीं उठता।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बारे में जानेंः जापान के सहयोग से देश में अहमदाबाद से मुंबई के बीच पहली बुलेट ट्रेन का होगा संचालन। कुल 508 किमी लंबा होगा सफर। 12 स्टेशन बनाए जाने हैं। जिसमें से आठ गुजरात में बनेंगे तो चार महाराष्ट्र में। इस पूरी परियोजना पर एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च प्रस्तावित है। जापान की ओर से लोन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले जापान के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था।

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