Skip to main content

महिला की इज्जत बचाने वाले को ही, पुलिस ने की बेरहमी से पीटाई कर दी




लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां डीजीपी ओपी सिंह पुलिसकर्मियों को शालीनता का पाठ पढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मातहत अपने कारनामों से बाज नहीं आ रहे हैं।
एक मामला बीते दिनों हजरतगंज थाना क्षेत्र के एसएसपी आवास के चंद कदमों की दूरी का है।
यहां सहारागंज चौकी इंचार्ज और चार पुलिसकर्मियों पर दो युवकों की बर्बरता से पिटाई कर थर्ड डिग्री टॉर्चर करने का मामला सामने आया है।
पीड़ितों का कहना है कि वह दोनों अपने दोस्त की महिला मित्र से छेड़छाड़ की सूचना पर मदद के लिए गए थे, लेकिन उनके पहुँचते ही शोहदे मौके से भाग गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें ही शोहदा समझकर उठा लाई।
आरोप है कि पीड़ित बेगुनाह होने की बात करते रहे लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनकी एक ना सुनी और उन्हें बर्बर तरीके से पीटा और तब तक पीटा जब तक पीड़ित बेहोश नही हो गए। हालांकि इस मामले में एसएसपी आवास पर भी पीड़ितों को तो न्याय नहीं मिला लेकिन पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही कार्रवाई कर दी।
चौकी इंचार्ज ने पिटाई से इंकार करते हुए कहा कि दोनों युवक नशे में थे। गाड़ी लगने से उनके चोट लगी है, लेकिन पीड़ितों के साथियों का कहना है कि तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि ये अपने मिया मिठ्ठू बनने वाली राजधानी की मित्र पुलिस है या कहर ढाने वाली पुलिस है। इसका अंदाजा आप तस्वीरों में पीड़ितों के शरीर पर दिख रहे जख्म देख कर खुद लगा सकते है। बीते दिनों यह पूरा मामला तब हुआ जब पीड़ित के दोस्त की महिला मित्र के साथ छेड़छाड़ हुई और विरोध करना ही भारी पड़ गया। आपको बता दे कि मामला सप्रू मार्ग स्थित अंगारा लाउंज का है। बीते दिनों रात को सौरभ त्रिपाठी अपने करीबी महिला मित्र के साथ लाउंज हजरतगंज में था। आरोप है कि रात करीब 10:00 बजे महिला के साथ शोहदों ने छेड़छाड़ शुरू कर दी। इस पर सौरभ ने ऐशबाग की पीली कॉलोनी में रहने वाले प्रभात खरे और लखीमपुर में रहने वाले रोहित कश्यप से मदद मांगते हुए कहा कि उसकी मित्र के साथ छेड़छाड़ हो गई है आप लोग आ जाइये।  प्रभात एक दवा कंपनी में एरिया मैनेजर है जबकि रोहित अमेजॉन कंपनी में मैनेजर है। दोस्त से खबर मिलने के बाद प्रभात और रोहित बाइक से पहुंचे तो उन्हें देख शोहदे चलते बने। बताया जा रहा है कि थोड़ी देर बाद ही सहारा चौकी प्रभारी राहुल सोनकर पुलिसकर्मियों संग आ गए। उन्होंने प्रभात व रोहित को शोहदा समझकर पकड़ लिया और बोले किससे छेड़खानी की है? दोनों ने बताया कि दोस्त की करीबी महिला के साथ छेड़खानी हुई थी। इनके बुलाने पर मदद के लिए आए थे। यही बात सौरभ वह उसकी महिला मित्र ने भी बताई पर पुलिसकर्मियों ने उनकी एक न सुनी और बुरी तरह पिटाई कर दी। पुलिस ने इतना मारा कि दोनों बेहोश हो गए। रोहित और प्रभात का आरोप है कि दरोगा दोनों को चौकी में ले गए। यहां शोहदे पहले से मौजूद थे। यहां जिस महिला के साथ छेड़छाड़ हुई थी उसने शोहदों को पहचान लिया। इसके बाद उसने दारोगा को पूरी बात बताई। लेकिन दारोगा ने शोहदों को तो चलता कर दिया और दोनों दोस्तों पर कहर ढहा दिया। मदद करने वाले मदद मांगते रहे और खुद को बेकसूर बताते रहे लेकिन दरोगा ने उनकी एक न सुनी। आरोप है कि दरोगा ने सहारागंज चौकी में जमकर कहर ढाया। आरोप है कि चौकी में चार पुलिसकर्मियों ने उनके हाथ पकड़ लिए और दारोगा ने उनकी चमड़ी उधेड़नी शुरू कर दी। आरोप है कि दरोगा ने लाठी चलाना शुरू कर दी इतना मारा कि दोनों वहीं बेहोश हो गए।
दोनों युवकों को अधमरा करने के बाद दरोगा राहुल सोनकर ने प्रभात खरे और रोहित कश्यप को उसके दोस्तों के सामने भी धमकाया। यही नहीं साथियों को हिदायत दी कि इस बात की जानकारी किसी अधिकारी के पास जा कर दी तो खैर नहीं। दारोगा ने कहा कि ऐसी धाराओं में जेल भेजूंगा कि बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। आप बीती सुनते ही प्रभात खरे ने बताया कि उसका मन नहीं था कि वह अफसरों के पास न्याय के लिए जाए। लेकिन जुल्म सहना बुजदिली समझा, इसलिए हालत में सुधार आने पर शुक्रवार को कप्तान साहब की चौखट पर आया। उसे उम्मीद है कि न्याय जरूर मिलेगा। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें होश आया तो उन्हें धमकाकर घर जाने के लिए कहा गया। एसएसपी आवास पहुंचे पीड़ित ने आपबीती बताई तो मामला दरोगा से जुड़ा था इसलिए उसे कार्यवाही का आश्वासन देकर चलता कर दिया गया। किसी तरह से घर पहुंचे पीड़ितों ने इलाज कराया। प्रभात को तो राहत मिली लेकिन रोहित अभी भी खाकी का दर्द झेल रहा है। वह एसएसपी आवास नहीं आ सका। लेकिन प्रभात ने बताया कि वह अब कभी किसी की मदद को नहीं आएगा उसे खाकी से नफरत हो गई है। उससे SSP के जनसंपर्क अधिकारी संजय खरवार ने मामले की तहरीर देकर कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन पीड़ित व उसके साथियों को नहीं लगता कि उन्हें इंसाफ मिलेगा।
सूत्रों की माने तो दरोगा राहुल सोनकर से इलाके के लोग घबराते हैं, वह इसलिए कि कब किसके साथ किस तरह पेश आए किसी को नहीं पता।जानकार बताते हैं कि उन पर एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी व उनकी नेता पत्नी का हाथ है। उनके दम पर दरोगा लोगों को इलाके में डराते धमकाते रहते है। उनके लिए उनसे विवादित जमीनों पर कब्जे भी कराए। दंपत्ति ने ही उनकी पोस्टिंग इलाके में कराई है। इसलिए वह किसी भी अफसर की भी नहीं सुनते। पूरे इलाके में दारोगा का खौफ कायम है। इस मामले में SP पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि फिलहाल उनके संज्ञान में मामला नहीं है फिर भी उन्होंने इस मामले की जांच कराए जाने की बात कही। उनका कहना था कि अगर युवकों के साथ बेरहमी से पिटाई की गई होगी तो दरोगा के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मामले में जब राहुल सोनकर से बात की गई कि बताया कि उन्हें मारपीट की सूचना मिली थी। इस पर वह होटल गए थे। वहां भगदड़ मची जिसमें दोनों चोटिल हो गए। वह पकड़ कर उन्हें लाए थे। पूछताछ की इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया था। लेकिन उसके बाद क्या हुआ उन्हें नहीं पता। यह चोट जो युवक दिखा रहे हैं वह कहीं और लगी। हालांकि युवकों के शरीर पर चोट के निशान पुलिसिया कहर की दास्तां साफ तौर पर बयां कर रहे। पीड़ितों का आरोप ये भी है कि दरोगा पीटते वक्त कह रहे थे कि तुम लोगों ने हमें शराब पीते वक्त डिस्टर्ब किया है तुम दोनों सजा के हक़दार हो, तुम्हें इससे भी ज्यादा सजा मिलेगी।

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्...

चार लोकसभा और 10 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे थोड़ी देर में, कैराना सीट पर सबकी है नजर

 पालघर। देश के 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए उपचुनाव के नतीजे आज बृहस्पतिवार को आएंगे। बृहस्पतिवार सुबह 8 बजे इन सभी सीटों पर मतों की गिनती शुरू हो चुकी है। इन सभी सीटों में से सबसे ज्यादा नजर उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर रहेगी। यहां बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां रालोद उम्मीदवार का समर्थन कर रही हैं। 2019 लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे देश में विपक्षी पार्टियां कैराना में बीजेपी को हरा कर एक बड़ा संदेश देना चाहती हैं। सोमवार को हुए मतदान में काफी जगह ईवीएम-वीवीपैट में गड़बड़ी की खबरें आई थीं, जिसके बाद यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा और नगालैंड की एक विधानसभा सीट के कुछ पोलिंग बूथों पर दोबारा वोट डलवाए गए थे। कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर में भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन के कारण उप चुनाव हो रहे हैं। कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव पर देश के राजनीतिक दलों की निगाहें हैं। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस चुनाव की नतीजे देश की सियासत को नया संदेश देने वाले हैं। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट क...

महाराष्ट्र से वापस लौट सकेंगे प्रवासी मजदूर,डीएम की अनुमति होगी जरूरी

मुंबई। लॉकडाउन की वजह से देशभर में लॉकडाउन लागू है. अलग-अलग राज्यों के मजदूर और लोग दूसरे राज्यों में फंस गए हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख गुरुवार को कहा कि प्रवासी और अन्य फंसे हुए लोग अपने-अपने राज्यों में जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद वापस लौट जाएंगे. जिला मजिस्ट्रेट ही प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका में होंगे. लोगों को नाम, मोबाइल नंबर, गाड़ियों का विवरण(अगर हो तो), राज्य में अकेले हैं या साथ में हैं, इन सबका क्रमवार ब्यौरा देना होगा. महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगभग 6 लाख मजदूर फंसे हैं. ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के हैं. इस वक्त इन मजदूरों के रहने-खाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार पर है. हालांकि कुछ मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय की ओर से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक मजदूर अपने राज्यों को लौट सकेंगे. राज्य इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. दरअसल बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, लोगों और ...