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जिस बिमारी से लोग किताब तक नहीं उठाते, अनुष्का ने टाँप कर दिखाया




गुरुग्राम. ईश्वर कई बार यह साबित करता है कि मेरा अस्तित्व है और वो मैं इंसान के आत्मविश्वास, जिद और जुनून के के समय उसका साया बन जाता हूं. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, यह उस बीमारी का नाम है जिसका इलाज दुनिया के किसी डॉक्टर के पास नहीं है. इससे ग्रस्त रोगी केवल दिन गुजारता है. करियर और पढ़ाई जैसे शब्द तो उसकी जिंदगी में कहीं दिखाई ही नहीं देते परंतु अनुष्का पांडा की बात कुछ और है. उसने कर दिखाया. 14 साल की अनुष्का ने सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में 500 में से 489 अंक हासिल किए. वो देश भर में टॉपर है.
'क्या होता है स्पाइनल  मस्कुलर एट्रोफी (SMA),
यह एक आनुवंशिक रोग है, जो रीढ़ की हड्डी में मोटर न्यूरॉन नामक Nerves पर हमला करता है. ये कोशिकाएं व्यक्ति की मांसपेशियों (हाथों और पैरों) से संवाद करती हैं जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं. जब न्यूरॉन्स काफी घट जाते हैं तो मांसपेशियां अत्याधिक कमजोर हो जाती हैं. जिससे आपका चलना, उठना-बैठना, सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. इससे खाना निगलने में मुश्किल होती है और सिर एवं गर्दन पर आपका नियंत्रण भी काफी हद तक प्रभावित होता हैं.
राजस्थान के भिवाड़ी की एक कंपनी में कार्यरत अनुष्का के पिता ने अपनी बेटी की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'मुझे अपनी बेटी पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है, बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन अनुष्का के दृढ़ संकल्प और लगन का ही परिणाम है. गुरुग्राम के सेक्टर 67 में रहने वाली अनुष्का अपनी कामयाबी पर कहती हैं, 'मैं बहुत खुश हूं, आखिर मेरी मेहनत रंग लाई. यह पल मेरे लिए बहुत ख़ास है.
अनुष्का ने बताया कि कैसे उन्होंने परीक्षा के लिए अपनी तैयारी की. अनुष्का ने कहा 'पहले दिन से ही मैंने अपनी पढाई को जारी रखा हुआ था, मैं अपने स्कूल को तहेदिल से शुक्रिया कहना चाहूंगी जहां से मुझे पूरा मिला. क्योंकि मैं एक विशेष छात्रा हूं इसलिये स्कूल ने मुझे परीक्षा के समय में सारी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी ताकि मैं परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकूं.

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