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मुंबई में संघ की पहली इफ्तार पार्टी, 30 मुस्लिम बहुल देशों के महावाणिज्य दूतों को मिला न्योता




 मुंबई। राष्ट्रीय‍ स्‍वयंसेवक संघ से जुड़ी संस्‍था मुस्लिम राष्‍ट्रीय मंच ने मुंबई में पहली बार इफ्तार का आयोजन करने का फैसला किया है। 4 जून को होने वाले इस आयोजन में तकरीबन 30 मुस्लिम बहुल देशों के महावाणिज्‍य दूतों को आमंत्रित किया गया है।
रमजान के पवित्र महीने में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से इफ्तार देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्‍ट्रीय मंच ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पहली बार इफ्तार देने की घोषणा की है। मंच की ओर से 4 जून को मुंबई में इफ्तार का आयोजन किया जाएगा। इसमें मुस्लिम बहुल देशों के राजनयिकों के अलावा मुस्लिम समुदाय के गणमान्‍य लोगों को भी बुलाया जाएगा। मिली खबर के अनुसार, आरएसएस से जुड़े संगठन की ओर से सहयाद्री गेस्‍ट हाउस में इसका आयोजन किया जाएगा। मुस्लिम राष्‍ट्रीय मंच के राष्‍ट्रीय संयोजक विराग पचपोरे ने बताया कि इफ्तार में तकरीबन 30 देशों के महावाणिज्‍य दूत के शिर‍कत करने की उम्‍मीद है। उनके मुताबिक, इस पार्टी में मुस्लिम समुदाय के 200 प्रतिष्ठित लोगों के अलावा अन्‍य समुदायों के भी तकरीबन 100 प्रतिनिधि शामिल होंगे। बता दें कि आरएसएस ने मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए वर्ष 2015 में ऐसे आयोजनों की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री आवास में ऐसी पार्टियों आयोजित न करने के पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले के ठीक बाद यह कदम उठाया गया था। हालांकि, अब तक मुस्लिम समुदाय से जुड़े आरएसएस के ऐसे आयोजन केवल उत्तर भारत तक ही सीमित थे। पश्चिम और दक्षिण भारत में पहुंच बनाने की कोशिश:मुंबई में इफ्तार आयोजित करने के पीछे आरएसएस का मकसद देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों के मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बनाना माना जा रहा है। पचपोरे ने बताया कि मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और यहां बहुत से देशों के वाणिज्यिक दूतावास हैं। मुंबई में बहुत से मुस्लिम कारोबारी रहते हैं, जिन्होंने देश की तरक्की में योगदान दिया है। साथ ही फिल्‍म और मनोरंजन जगत में सक्रि‍य मुस्लिम समुदाय से जुड़ी कई हस्तियां भी यहां रहती हैं। उनके मुताबिक, इफ्तार के माध्‍यम से संघ ऐसे सभी लोगों से बातचीत और संवाद करना चाहता है। उन्‍होंने बताया कि इफ्तार के आयोजन का मकसद अल्पसंख्यक समाज के बीच आरएसएस के बारे में फैलाई गई भ्रांतियों को खत्म करना है। उन्होंने कहा, ‘आरएसएस किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। हकीकत तो यह है कि आरएसएस देश के सभी समुदायों के बीच शांति, सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ाना चाहता है।’ वहीं, विशेषज्ञों का मानन है कि आरएसएस इस आयोजन के जरिये यह दिखाना चाहता है कि वह सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करता है। संघ खास तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है।

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