Skip to main content

मंत्री जी का कर्ज माफ़ ? विपक्ष ने सीएम फडणवीस पर उठाया सवाल



 मुंबई: महाराष्ट्र में जहां एक ओर किसान कर्ज माफी की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं तो दूसरी ओर एक मंत्री का कर्ज माफ कर देने की खबर से देवेंद्र फडणवीस सरकार नए विवाद में फंस गई है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र के मजदूर कल्याणा मंत्री संभाजी निलंगेकर पाटिल के कर्ज को बैंक ने बड़ी ही आसानी से माफ कर दिया है. हालांकि मंत्री ने इस आरोप का खंडन किया है.
साल 2015 में ही इस कर्ज को लेकर सीबीआई ने संभाजी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक ब्याज सहित कर्ज के कुल राशि 76 करोड़ रुपये थी. मिली जानकारी के मुताबिक इसमें 25 करोड़ रुपया जमा कर दिया गया था. लेकिन बचे 51 करोड़ रुपये को जमा नहीं किया जा रहा था. इसको बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया था. सीबीआई ने इस मामले में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. इस मामले की सुनवाई लातूर कोर्ट में चल रही है. वहीं आरोप पर मंत्री संभा जी ने सफाई दी है कि सारा मामला बैंक के नियमों के मुताबिक निपटाया गया है और सारे आरोप निराधार हैं.  वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सवाल उठाया गया है कि जब मंत्री के खिलाफ आरोप दाखिल किए जा चुके हैं और मामला कोर्ट में है तो बैंक ने इसका सेटलमेंट कैसे कर दिया है. आप की प्रवक्ता प्रीती शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री का कहना है कि मंत्री संभाजी सिर्फ बैंक गांरटर हैं, लेकिन सीएम राज्य के गृहमंत्री भी हैं उनको जरूर पता होगा कि चार्जशीट में क्या लिखा है. प्रीती ने कहा कि चार्जशीट में साफ लिखा है कि संभाजी ने फर्जी पेपर दिखाकर लोन लिया है और सब कुछ जानते हुए भी उनको मंत्री पद का इनाम कैसे दे दिया गया.
वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि लोन का सारा निपटारा आरबीआई के नियमों के मुताबिक हुआ है. संभाजी निंगलेकर सिर्फ एक गारंटर थे. फिलहाल मुख्यमंत्री की इस दलील को कोई भी मानने के लिए तैयार नहीं है और ये मामला अब धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्...

चार लोकसभा और 10 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे थोड़ी देर में, कैराना सीट पर सबकी है नजर

 पालघर। देश के 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए उपचुनाव के नतीजे आज बृहस्पतिवार को आएंगे। बृहस्पतिवार सुबह 8 बजे इन सभी सीटों पर मतों की गिनती शुरू हो चुकी है। इन सभी सीटों में से सबसे ज्यादा नजर उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर रहेगी। यहां बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां रालोद उम्मीदवार का समर्थन कर रही हैं। 2019 लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहे देश में विपक्षी पार्टियां कैराना में बीजेपी को हरा कर एक बड़ा संदेश देना चाहती हैं। सोमवार को हुए मतदान में काफी जगह ईवीएम-वीवीपैट में गड़बड़ी की खबरें आई थीं, जिसके बाद यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा और नगालैंड की एक विधानसभा सीट के कुछ पोलिंग बूथों पर दोबारा वोट डलवाए गए थे। कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर में भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन के कारण उप चुनाव हो रहे हैं। कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव पर देश के राजनीतिक दलों की निगाहें हैं। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस चुनाव की नतीजे देश की सियासत को नया संदेश देने वाले हैं। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट क...

जो मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ते उनके घरों को जला दिया जाय- बाबरी के पक्षकार

  यूपी। नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। मस्जिद में नमाज पढऩा अधिक पुण्यदायी है। मस्जिद अल्लाह का घर है। पैगमबर मोहम्मद साहब ने भी बिना किसी मजबूरी के मस्जिदों के बाहर नमाज पढऩा पसंद नहीं फरमाया है। कुरान में तो यहां तक उल्लेख मिला कि मस्जिद में नमाज न पढऩे वाले के घरों में आग लगा दी जाय। सुप्रीम कोर्ट का इस मसले पर फैसला आने के बाद ऐसी एक नहीं अनेक टिप्पणियां मुस्लिम नेता कर रहे हैं। यह कहना अनुचित है कि नमाज के लिए मस्जिद आवश्यक नहीं है। न केवल मजहबी अकीदे की दृष्टि से बल्कि सुप्रीमकोर्ट के ताजा फैसले के संदर्भ में भी ऐसी दावेदारी बेदम है। नमाज से जुड़े फैसले पर मुस्लिम नेता बोले, नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है हेलाल कमेटी के संयोजत एवं बाबरी के पक्षकार खालिक अहमद खान का मानना है कि कोर्ट के ताजा फैसले की मीडिया एवं हिंदू पक्ष गलत व्याख्या कर रहा है। हकीकत तो यह है कि कोर्ट का ताजा फैसला उस बुनियाद को मजबूत करने वाला है, जिस बुनियाद पर मुस्लिम बाबरी की लड़ाई लड़ रहे हैं। बकौल खालिक कोर्ट के ताजा फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि जन्मभूमि विवाद की सुनवाई धार्मिक भावना के आधार पर न...