Skip to main content

फिर भड़के जस्टिस चेलमेश्वर, न्यायपालिका में सरकार की दखलंदाजी पर जताया ऐतराज




 नई दिल्ली। ढाई महीने पहले प्रधान न्यायाधीश की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश जे. चेलेमेश्वर इस बार सरकार और न्यायपालिका के बीच कथित दोस्ती और मेलजोल पर भड़क गए हैं। सरकार की चिट्ठी पर सक्रिय हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का मामला उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह 'दोस्ती' लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने न्यायिक नियुक्ति में सरकार की दखलंदाजी पर फुल कोर्ट में विचार किये जाने की मांग की है। उन्होंने अपने इस पत्र की कापी सुप्रीम कोर्ट के अन्य 22 जजों को भी भेजी है।
न्यायपालिका का संकट खत्म नहीं हो रहा है और राजनीति उसके आधार पर गरमाती जा रही है। जस्टिस चेलमेश्वर की अगुवाई में ही चार जजों ने मुख्य न्यायाधीश पर आरोप लगाया था। विपक्ष उसे आधार बनाकर मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की तैयारी कर रहा है। इस बीच जस्टिस चेलमेश्वर का नया पत्र मुद्दे को और गरमा सकता है। 21 मार्च को भेजे गए पांच पेज के पत्र में जस्टिस ने चेलमेश्वर ने कानून मंत्रालय की चिट्ठी पर कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी के जिला जज कृष्ण भट्ट के खिलाफ जांच शुरू करने पर सवाल उठाया है।
कहा है कि सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम जस्टिस भट्ट को हाईकोर्ट प्रोन्नत करने की सरकार से सिफारिश कर चुकी थी। सरकार भट्ट के नाम की सिफारिश को दबा कर बैठ गई और उसने सुप्रीम कोर्ट की प्रोन्नति की सिफारिश का पुन: आंकलन करने के लिए कनार्टक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सीधे पत्र लिख दिया और उस पर मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी ने कार्रवाई की। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा 'हम सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर आरोप लगते हैं कि हमने कार्यपालिका के सामने अपनी संस्थागत स्वायत्तता और गरिमा खो दी है। लेकिन बंगलूरू से किसी ने हमें रसातल में जाने की दौड़ में हरा दिया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हमारी पीठ पीछे सरकार के आदेश पर काम करने के बहुत इच्छुक हैं।' पत्र में कहा गया है कि जिला जज पी. कृष्णा भट्ट को जांच में निर्दोष पाये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम ने उन्हें हाईकोर्ट प्रोन्नत किये जाने की सरकार से सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने चुन के उनकी प्रोन्नति की सिफारिश दबा ली और बाकी अन्य पांच जो कि जज भट्ट से जूनियर थे, को प्रोन्नत कर दिया। सरकार को अगर जज भट्ट के नाम पर कोई आपत्ति थी तो वो कोलीजियम को दोबारा विचार के लिए वापस भेज सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि सरकार सिफारिश को दबा कर बैठ गई। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा है कि कई बार का अनुभव है कि सरकार कोलीजियम की सिफारिश अपवाद के तौर पर स्वीकार करती है और ज्यादातर दबा कर बैठ जाती है। जो जज काबिल होते हैं, लेकिन सरकार को असुविधाजनक लगते हैं इस प्रक्रिया में छूट जाते हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर ने आगाह किया कि सरकार और न्यायपालिका की दोस्ती लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। और मांग की कि फुल कोर्ट में विचार होना चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्...

जो मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ते उनके घरों को जला दिया जाय- बाबरी के पक्षकार

  यूपी। नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। मस्जिद में नमाज पढऩा अधिक पुण्यदायी है। मस्जिद अल्लाह का घर है। पैगमबर मोहम्मद साहब ने भी बिना किसी मजबूरी के मस्जिदों के बाहर नमाज पढऩा पसंद नहीं फरमाया है। कुरान में तो यहां तक उल्लेख मिला कि मस्जिद में नमाज न पढऩे वाले के घरों में आग लगा दी जाय। सुप्रीम कोर्ट का इस मसले पर फैसला आने के बाद ऐसी एक नहीं अनेक टिप्पणियां मुस्लिम नेता कर रहे हैं। यह कहना अनुचित है कि नमाज के लिए मस्जिद आवश्यक नहीं है। न केवल मजहबी अकीदे की दृष्टि से बल्कि सुप्रीमकोर्ट के ताजा फैसले के संदर्भ में भी ऐसी दावेदारी बेदम है। नमाज से जुड़े फैसले पर मुस्लिम नेता बोले, नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है हेलाल कमेटी के संयोजत एवं बाबरी के पक्षकार खालिक अहमद खान का मानना है कि कोर्ट के ताजा फैसले की मीडिया एवं हिंदू पक्ष गलत व्याख्या कर रहा है। हकीकत तो यह है कि कोर्ट का ताजा फैसला उस बुनियाद को मजबूत करने वाला है, जिस बुनियाद पर मुस्लिम बाबरी की लड़ाई लड़ रहे हैं। बकौल खालिक कोर्ट के ताजा फैसले से यह स्पष्ट हुआ है कि जन्मभूमि विवाद की सुनवाई धार्मिक भावना के आधार पर न...

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बोले: सावधानी से बढ़ेंगे आग, महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में तीन मई के बाद लाॅकडाउन से मिलेगी छूट

  मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि वह कुछ इलाकों में तीन मई के बाद लॉकडाउन से छूट देंगे। उन्होंने कहा कि वह आने वाले समय में सावधानी से आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, 'तीन मई के बाद निश्चित रूप से हम कुछ इलाकों की स्थिति को देखते हुए छूट देंगे, लेकिन आप सभी सतर्क रहें और सहयोग करें, अन्यथा पिछले कुछ दिनों में हमने जो कुछ भी हासिल किया है वह बेकार हो जाएगा।' ठाकरे ने कहा कि हम धैर्य और सावधानी के साथ आगे बढ़ेंगे। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या दस हजार के पार पहुंच चुकी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अब तक 10,498 मरीज मिल चुके हैं। वहीं, इसमें से 1773 लोग ठीक हुए हैं। इसके अलावा 459 लोगों की मौत हुई है। वहीं, लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने आदेश को सख्ती से लागू करते हुए राज्य भर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने 85,500 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए और अभी तक 16,962 लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि मार्च से कोविड-19 से लड़ते और...