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तीन दिन से भूखी 'अमीर जहां' ने फाके मेंसिसक-सिसक कर तोडी दम!



मुरादाबाद। गणतंत्र दिवस पर जब राष्ट्रपति देश में प्रत्येक जान को सुरक्षित रखने का आश्वासन दे रहे थे। तब मुरादाबाद में एक महिला चार दिन से भूखी रहने के कारण मर गई। इस सूचना से प्रशासन में हड़कंप तो है, लेकिन वह इस मौत को भूख से स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जबकि पास-पड़ोस के लोगों का कहना है कि चार दिन से बच्चों ने कुछ नहीं खाया था। मुरादाबाद के थाना मझोला के जयंतीपुर में तंगहाली से जूझ रही एक महिला की बीमारी से मौत हो गई। महिला का पति पुणे में मजदूरी करता है। ढाई महीने से वह घर नहीं आया था। जिसकी वजह से घर में फाके की नौबत थी। महिला की तीन छोटी बच्चियों ने बताया कि वह तीन दिन से भूखी थीं। पड़ोसियों ने उन्हें खाना खिलाया। बच्चियों की मानें तो काफी दिनों से उनकी मां की सांस उखड़ती थी। गुरुवार पूर्वाह्न पड़ोसियों की मदद से बेटियां उसे जिला अस्पताल ले गईं। लेकिन डेढ़ घंटा के भीतर ही उसने दम तोड़ दिया। मूल रूप से छजलैट के गांव फूलपुर के रहने वाले मो. यूनुस का परिवार जयंतीपुर में पुलिस चौकी के पास सलीम कुरैशी के मकान में किराए पर रहता है। यूनुस रिक्शा चलाता था। लेकिन टीबी की बीमारी होने के बाद वह एक ठेकेदार के साथ पुणे चला गया। जहां वह चाय – बिस्कुट का ठेला लगाता है। उसकी पत्नी अमीर जहां (34) यहां अपनी तीन बेटियों तबस्सुम (14), रहनुमा (12) और मुस्कान (10) के साथ रहती थी।
तबस्सुम ने बताया कि इस बार उसके पिता ढाई महीने से घर नहीं आए। इसलिए पैसे खत्म हो गए और घर में राशन तक नहीं बचा था। तीनों बहनों ने बताया कि तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। कल रात बच्चियों के सिसकने की आवाज सुनकर सामने रहने वाली शबाना उन्हें छह रोटियां दे गईं।
शबाना का कहना है कि बच्चियों ने तो रोटी खा ली लेकिन काफी कहने के बाद भी अमीर जहां ने कुछ नहीं खाया। गुरुवार सुबह अचानक उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। अमीर जहां की मौत पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह का कहना है कि यह बीमारी से मौत का मामला है।

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