पुणे : राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने महाराष्ट्र के 12 जिलाधीशों को गिरफ्तार कर उसके सामने हाजिर करने के आदेश दिए हैं। प्राधिकरण ने 2013 में दायर की गई एक याचिका के सम्बन्ध में सभी जिलाधीशों को आदेश दिया था कि वह फ्लोरोसिस की बीमारी पर नियन्त्रण पाने के लिए आवश्यक उपाय योजना करें। लेकिन 3 साल बीतने के बाद भी सभी 12 जिलाधीश आदेश को दबाये बैठे रहे. उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की। आदेश के पालन न किये जाने से नाराज हरित नवादा ने जिलाधीशों को गिरफ्तार कर उसके सामने हाजिर करने के लिए जमानती वारंट के साथ अपना आदेश सभी सम्बन्धित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भेजा है। हरित नवादा द्वारा जब यह जाँच की गई कि 3 वर्ष पूर्व दिए गए उसके आदेश का कितना पालन हुआ है तो उसको झटका लगा कि जिलाधीशों ने किसी भी प्रकार की उपाय योजना अमल नहीं की है। जब उसने जिलाधीशों को कारण बताओ नोटिस जारी किये, तो कुछ जिलाधीशों ने तो इस नोटिस का उत्तर ही नहीं दिया, जिन्होंने उत्तर भेजे वह भी औपचारिकता पूरी करने तक सीमित थे। इससे नाराज हरित प्राधिकरण ने जिलाधीशों की गिरफ्तारी के आदेश दिए। 2013 में एड असीम सरोदे ने हरित प्राधिकरण में याचिका दाखिल थी कि नांदेड़, चंद्रपुर, बीड, यवतमाल, लातूर, वाशिम, परभणी, हिंगोली, जालना, जलगांव, नागपुर, भंडारा में बोरवेलों की संख्या अधिक है। 2 बोरवेलों के बीच में फासले और उनकी गहराई से सम्बन्धित नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन सभी जिलाधीशों की गिरफ्तारी के आदेश जारी किये गए हैं।
पुणे : राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने महाराष्ट्र के 12 जिलाधीशों को गिरफ्तार कर उसके सामने हाजिर करने के आदेश दिए हैं। प्राधिकरण ने 2013 में दायर की गई एक याचिका के सम्बन्ध में सभी जिलाधीशों को आदेश दिया था कि वह फ्लोरोसिस की बीमारी पर नियन्त्रण पाने के लिए आवश्यक उपाय योजना करें। लेकिन 3 साल बीतने के बाद भी सभी 12 जिलाधीश आदेश को दबाये बैठे रहे. उन्होंने किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की। आदेश के पालन न किये जाने से नाराज हरित नवादा ने जिलाधीशों को गिरफ्तार कर उसके सामने हाजिर करने के लिए जमानती वारंट के साथ अपना आदेश सभी सम्बन्धित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भेजा है। हरित नवादा द्वारा जब यह जाँच की गई कि 3 वर्ष पूर्व दिए गए उसके आदेश का कितना पालन हुआ है तो उसको झटका लगा कि जिलाधीशों ने किसी भी प्रकार की उपाय योजना अमल नहीं की है। जब उसने जिलाधीशों को कारण बताओ नोटिस जारी किये, तो कुछ जिलाधीशों ने तो इस नोटिस का उत्तर ही नहीं दिया, जिन्होंने उत्तर भेजे वह भी औपचारिकता पूरी करने तक सीमित थे। इससे नाराज हरित प्राधिकरण ने जिलाधीशों की गिरफ्तारी के आदेश दिए। 2013 में एड असीम सरोदे ने हरित प्राधिकरण में याचिका दाखिल थी कि नांदेड़, चंद्रपुर, बीड, यवतमाल, लातूर, वाशिम, परभणी, हिंगोली, जालना, जलगांव, नागपुर, भंडारा में बोरवेलों की संख्या अधिक है। 2 बोरवेलों के बीच में फासले और उनकी गहराई से सम्बन्धित नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन सभी जिलाधीशों की गिरफ्तारी के आदेश जारी किये गए हैं।
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