मुंबई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी से सियासी खतरा टल गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में रिक्त पड़ीं विधान परिषद (MLC) की नौ सीटों पर चुनाव कराने का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने 21 मई को एमएलसी चुनाव कराने की घोषणा की है। इनमें से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ उद्धव (Uddhav Thakkeray) एमएलसी बन जाएंगे। इसके साथ ही उद्धव उस सियासी संकट से बाहर निकल जाएंगे, जिसमें फिलहाल वे उलझे हुए हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अभी राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों में से किसी के भी सदस्य नहीं हैं। नियमानुसार 28 मई से पहले उन्हें विधानसभा या विधान परिषद में से किसी एक का सदस्य बनना होगा। ऐसा नहीं होने पर उद्धव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता। एमएलसी चुनाव की प्रक्रिया 21 मई को पूरी हो जाएगी, लिहाजा वे मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
यहां फंसा था पेच, राज्यपाल ने निकाला रास्ता
कोरोना संकट के बीच चुनाव आयोग ने एमएलसी सहित सभी तरह के चुनाव स्थगित कर दिए थे। ऐसे में उद्धव के पास एक ही विकल्प बचा कि राज्यपाल उन्हें अपने कोटे की सीट से विधान परिषद के लिए नामित कर दें। राज्य मंत्रिमंडल ने दो बार राज्यपाल के पास सिफारिश भेजी कि वे विधान परिषद में एमएलसी के रूप में उद्धव को मनोनीत करें। कैबिनेट की सिफारिश पर राज्यपाल ने कानूनी सलाह ली। राजभवन की चुप्पी पर सत्ताधारी गठबंधन और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला। लेकिन, राज्यपाल मौन साधे रहे। गुरुवार शाम राज्यपाल ने सियासी संकट का वह समाधान निकाला, जिसकी उम्मीद राजनीति के धुरंधरों को भी नहीं थी। उन्होंने एमएलसी चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राज्यपाल के अनुरोध पर न सिर्फ विचार किया बल्कि चुनाव कराने की घोषणा भी कर दी। राज्यपाल की इस पहल से उद्धव को बड़ी राहत मिली है।
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