Skip to main content

चौकीदार की नौकरी कर रहे एक्टर पर बोले अनुराग कश्यप-तीन बार काम दे चुका हूँ, अब उसे खुद करनी होगी अपनी मदद




मुंबई। अनुराग कश्यप की फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' में काम कर चुके एक्टर सवी सिद्धू इन दिनों सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने को मजबूर हैं। सिद्धू की फाइनेंशियल कंडीशन इतनी खराब है कि उनके पास बस का किराया देने तक के पैसे नहीं हैं। दो वक्त की रोटी के लिए सिद्धू इन दिनों मुंबई के एक अपार्टमेंट में चौकीदार की नौकरी कर रहे हैं। हालात के मारे सवी सिद्धू ने कुछ वक्त पहले एक इंटरव्यू में अपना दर्द बयां किया था। सवी की तंगहाली की खबर जब अनुराग कश्यप तक पहुंचीं तो उन्होंने भी इस पर रिएक्शन दिया है। तीन बार सवी को काम दे चुका हूं...
अनुराग कश्यप ने सवी को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए। अनुराग ने लिखा- ''दुनिया में ऐसे कई एक्टर्स हैं, जिनके पास काम नहीं है। बतौर कलाकार मैं सवी सिद्धू की इज्जत करता हूं और उन्हें तीन बार अपनी फिल्मों में काम भी दे चुका हूं। मैं उनकी इज्जत करता हूं क्योंकि वो उन शख्स में हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी पूरे सम्मान के साथ जीने का फैसला किया बजाय उनके जो या तो बेरोजगार हो जाते हैं, या फिर शराब में डूबकर अपनी जिंदगी तबाह कर लेते हैं।''
किसी पर तरस खाकर काम देना उसे जलील करने जैसा...
अनुराग ने आगे लिखा- "नवाजुद्दीन एक जमाने में चौकीदार का काम कर चुका है। मैंने खुद वेटर का काम किया है। मैं एक ऐसे एक्टर को भी जानता हूं, जो सड़कों पर भेल पुरी बेचकर अपना गुजारा करता था। फिल्म 'ब्लैक फ्रायडे' के एक ऐसे एक्टर को भी मैं जानता हूं, जो रिक्शा चलाता है। "मैंने 'हम पांच' और 'खेल खिलाड़ी का' जैसी फिल्मों में काम कर चुके एक्टर उदय चंद्रा को दर-ब-दर की ठोकरें खाते भी देखा है। यह दुनिया के कई लोगों की सच्चाई है और ऐसा भविष्य में मेरे या किसी के साथ भी हो सकता है। वैसे, किसी भी एक्टर पर तरस खाकर काम देना उसे जलील करने से कम नहीं है।"
सवी को खुद करनी होगी अपनी मदद...
अनुराग ने कहा- ''सवी सिद्धू को अपनी मदद खुद करनी होगी। सवी के लिए अगर कोई कुछ कर सकता है तो वो यही कि उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर्स से मिलवा दे ताकि उन्हें कोई रोल मिल सके। इसके बाद जैसे लाखों लोग काम की तलाश में जाते हैं, वैसे ही सवी को भी जाना होगा। मुझे सवी पर गर्व है कि उसने कलाकारों की इज्जत को तबाह नहीं होने दिया है और वाकई में वो काम कर रहा है।'' अनुराग ने कहा- ''मैं कई ऐसे राइटर्स को भी जानता हूं, जो हमेशा उधार मांगकर काम चलाते हैं। कई ऐसे फिल्ममेकर्स को भी जानता हूं, जो कई बार खाने के लिए मुझसे पैसे मांगते थे।''
चैरिटी किसी कला या कलाकार को जन्म नहीं दे सकती...
अनुराग के मुताबिक, "चौकीदार एक जॉब है और मैं इस काम को छोटा या बड़ा नहीं मानता। कम से कम सवी भीख तो नहीं मांग रहा है। मैं ये जानता हूं कि चैरिटी या दान से कोई कलाकार या कला जन्म नहीं ले सकती। सवी सिद्धू जैसी न जाने कितनी ही कहानियां हैं।''
अनुराग ने बताया सवी की मदद का तरीका...
अनुराग ने आगे कहा- ''अगर आप वाकई में किसी एक्टर की मदद करना चाहते हैं तो उसके काम और कला को पहचानिए और इसके लिए उसे भुगतान कीजिए। मुझे उस कलाकार के बारे में बताने या ट्वीट करने से उसकी हेल्प तो कतई नहीं होगी। मैंने अपनी लाइफ में कई नए कलाकारों के साथ काम किया है और इसके बाद नए टैलेंट की तलाश करता रहता हूं।''
ऐसे तंगहाली में पहुंच गए सवी सिद्धू...
बता दें कि सवी लखनऊ से हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं हुई। स्कूली पढ़ाई के बाद में वे ग्रैजुएशन करने चंडीगढ़ आ गए। इसी दौरान उन्हें मॉडलिंग का ऑफर मिला। कुछ वक्त मॉडलिंग की। फिर लॉ की पढ़ाई करने वापस लखनऊ चले गए। जब भाई की नौकरी मुंबई में लगी तो वो भी मुंबई पहुंच गए। इसके बाद सवी ने मुंबई में स्ट्रगल शुरू किया और इसी बीच अनुराग कश्यप के साथ फिल्म 'पांच' में काम करने का मौका मिला। हालांकि ये फिल्म रिलीज नहीं हो पाई लेकिन उन्हें काम मिलने लगा था। सवी के मुताबिक, ''मेरे पास काम की कोई कमी नहीं थी। कई बार तो मैं खुद ही काम करने से मना कर देता था और कई बार तबीयत ठीक न होने का बहाना बना देता था। ऐसा करते-करते मेरा काम छूटने लगा और फाइनेंशियल और हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ गईं। धीरे-धीरे मुझे काम मिलना ही बंद हो गया।'' सुवी गुलाल, ब्लैक फ्रायडे और पटियाला हाउस जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं।

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्

महाराष्ट्र दिवस: 1960 में आया था महाराष्ट्र अस्तित्व में: जानिए इसका इतिहास

 मुंबई। देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप एक मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ था। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जोकि पहले चार अलग-अलग प्रशासनों के नियंत्रण में थे। इनमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन और गोवा के बीच का जिला, हैदराबाद के निजाम की रियासत के पांच जिले, मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण आठ जिले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थीं, जो समीपवर्ती जिलों में मिल गईं थीं। महाराष्ट्र प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से एक समान है। यहां का मुंबई बंदरगाह अरब सागर का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है। भौतिक दृष्टि से यह राज्य मुख्यतः पठारी है। महाराष्ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों का निर्माण करते हैं और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व की ओर धीरे-धीरे बढ़ती है। राज्य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियां हैं, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाड़ियां राज्य के मध्य भाग से होकर जाती हैं। अरब सागर महाराष्ट्र

महाराष्ट्र से वापस लौट सकेंगे प्रवासी मजदूर,डीएम की अनुमति होगी जरूरी

मुंबई। लॉकडाउन की वजह से देशभर में लॉकडाउन लागू है. अलग-अलग राज्यों के मजदूर और लोग दूसरे राज्यों में फंस गए हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख गुरुवार को कहा कि प्रवासी और अन्य फंसे हुए लोग अपने-अपने राज्यों में जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद वापस लौट जाएंगे. जिला मजिस्ट्रेट ही प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका में होंगे. लोगों को नाम, मोबाइल नंबर, गाड़ियों का विवरण(अगर हो तो), राज्य में अकेले हैं या साथ में हैं, इन सबका क्रमवार ब्यौरा देना होगा. महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगभग 6 लाख मजदूर फंसे हैं. ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के हैं. इस वक्त इन मजदूरों के रहने-खाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार पर है. हालांकि कुछ मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय की ओर से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक मजदूर अपने राज्यों को लौट सकेंगे. राज्य इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. दरअसल बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, लोगों और