नई दिल्ली। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को राहत और झटका दोनों ही दिए हैं। जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को संवैधानिक मान्यता दे दी है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कई क्षेत्रों में आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। जैसे कि बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में अब आधार अनिवार्य नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने आधार को लेकर ये फैसला सुनाया है।
राहुल गांधी ने आधार को बताया बीजेपी के लिए जासूसी का हथियार,
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग भी शुरू हो गई है, क्योंकि दोनों ही पार्टियां कोर्ट के इस फैसले को अपनी जीत बता रही हैं। कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आई है। राहुल गांधी ने आधार कार्ड को जासूसी का एक हथियार बताया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी के लिए आधार कार्ड उत्पीड़न और निगरानी का साधन था तो वहीं कांग्रेस पार्टी के नजरिए से आधार कार्ड सशक्तिकरण का माध्यम था। राहुल गांधी ने इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद भी किया है।
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी,
राहुल गांधी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की भी टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा है कि आधार बिल राज्यसभा में आना चाहिए था पर नहीं लाया गया। ये आधार कार्ड नहीं सरकारी अधिकार कार्ड और निजी कम्पनियों का आधार एक्ट बन गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि करोड़ो लोगों की निजी जानकारी प्राइवेट कंपनियों के पास है। इसका दुरुपयोग होगा। ये असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने धारा 57 असंवैधानिक करार दिया है। कपिल सिब्बल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे लिए बड़ी जीत है।
केंद्र सरकार ने थपथपाई अपनी पीठ,
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुद की पीठ थपथपा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा है कि ये फैसला ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले के बाद एक देश और एक पहचान को कानूनी मान्यता मिल गई है। आधार को केंद्र सरकार अनिवार्य नहीं बना सकती है। लेकिन एक बात सच है कि आधार की वजह से प्रतिवर्ष 90 हजार करोड़ की बंदरबाट पर रोक लगी है। इस फैसले के बाद आधार की संवैधानिकता को लेकर जो सवाल उठाए जाते रहे हैं अब उस पर विराम लग जाएगा।
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