दिल्ली:देश की सबसे बड़ी और सुरक्षित नोट छापने वाली प्रेस में सेंध लग गई है। दावा किया जाता था कि यहां पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता लेकिन यहीं से लाखों रुपए के नए नोटों को चुरा लिया गया। सबसे बड़ी बात यह रही कि इस काम को सरकार के अधिकारियों ने ही अंजाम दिया। इस प्रेस में उन्हीं अधिकारियों को रखा जाता है जिन पर पूर्ण विश्वास रहता है लेकिन इन्हीं ने देश को धोखा दिया। दरअसल देवास प्रेस में वरिष्ठ पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत अधिकारी गत तीन माह से अपने जुतों में 500-500 के रिजेक्ट नोट छुपाकर घर ले जाता था। प्रबंधन द्वारा रिजेक्ट नोट को आरबीआई के निर्देश पर नहीं भेजते हुए यहीं पर की कतरन कर नष्ट कर दिए जाते थे। पर्यवेक्षक अधिकारी होने से गेट पर उसकी ज्यादा चेकिंग नहीं होती थी, इसलिए किसी ने ध्यान भी नहीं दिया। पिछले चार दिनों से बीएनपी में पदस्थ वरिष्ठ पयज़्वेक्षक मनोहर वर्मा को बार-बार टेबल के नीचे छुकाता देख अन्य साथियों व अधिकारियों को शंका हुई। उसके बाद नियंत्रण अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे में मनेहर वर्मा की प्रत्येक हरकतों को बारीकी से देखा तो पता चला कि वह अपने जुते में 500 के नोट छुपाकर ले जाता था। शुक्रवार को फिर उस पर निगरानी रखी और जैसे वही नोट जूते में रखकर गेट के बाहर आने लगा तो पहले से तैयारा बैंक नोट प्रेस के अधिकारी, थाना बीएनपी टीआई उमरावसिंह बल के साथ बाहर खड़े थे। मनोहर के जूते निकलवाकर चैकिंग की गई तो उसमें 500 के नोट रखे हुए थे। इसके बाद पुलिस ने हिरासत में लेकर नोट प्रेस के अधिकारियों के सामने पूछताछ की तो उसने अपने घर में राशि छुपाना कबूल किया। टीम आरोपित को लेकर शुक्रवार को सुबह 11 बजे घर पहुंची और घर में छुपाकर रखे नोट के बंटल जब्त कर लिए गए।
घर से आरोपित की पत्नी व बेटी को भी पुलिस पूछताछ के लिए लेकर नोट प्रेस पहुंची है। आरोपित मनोहर वर्मा को तीन माह पहले ही रिजेक्ट नोट शाखा का पर्यवेक्षक बनाया गया था। नोट में मामूली से डिफाल्ट होने पर उन्हे रिजेक्ट कर दिए जाते थे, इन नोटों की सीट को आरोपित चुराकर अपने पास रख लेता था। अधिक डिफाल्टेड नोट वह डिस्पोजल में भेज देता था।
90 लाख 9 हजार 300 अब तक जब्त,
एएसपी अनिल पाटीदार व टीआई उमरावसिंह ने बताया कि बैंक नोट प्रेस प्रबंधन की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरोपित मनोहर वर्मा को हिरासत में लिया गया। उसकी निशानदेही पर साकेत नगर स्थित घर से दो छोटे बैग में रखे 500-500 नोट के बंटल जब्त किए हैं। इन बंडलों की गिनती पहले नेट प्रेस में हुई, उसके बाद जब्ती में लिए गए हैं। पहले बंडल में 26 लाख 9 हजार 300 रुपए बरामद किए हैं। दूसरे बंडल की बीएनपी में गिनती होने के बाद 64 लाख रुपए सामने आए हैं। इस तरह से अब तक 90 लाख 9 दहजार 300 रुपए बरामद कर लिए हैं। एएसपी ने कहा कि आरोपित ने रिजेक्ट नोटों को बाजार में चलाया या नहीं इसकी जांच की जा रही है। आरोपित से फिलहाल बीएनपी जीएम एमसी वैलप्पा व सीएआईएसफ के वरिष्ठ अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं।
बीएनपी में परींदा भी पर नहीं मार सकता,
बैंक नोट प्रेस में इतनी सख्ती है कि वहां पर परींदा भी पर नहीं मार सकता है। प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारियों की नोट प्रेस से बाहर आने पर सघन चैकिंग की जाती थी। इसके बाद भी अधिकारी बनकर पयज़्वेक्षक ने सेंध मार ही दी। अगर समय पर आरोपित नहीं धराता तो पता नहीं कितने रिजेक्ट नोंटों को बाजार में चलन में ला देता। गौरतलब है कि बीएनपी में 500-500 के नोट छपाई कुछ समय से बंद पड़ी है, किंतु नोटबंदी के बाद ब्लक में नोटों की छपाई हुई थी। ऐसे में रजिक्ट नोट भी बड़ी संख्या में बाहर आए थे। इन नोटों में से ही आरोपित कम डिफाल्टेड नोट निकल लेता था।
तीन सुपरवायजर तत्काल प्रभाव से सस्पैंड,
टीम ने आते ही मोहन वर्मा के साथ काम करने वाले तीन सुपरवायजर को तत्काल प्रभाव से सस्पैंड कर दिया है। बीएनपी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्कशॉप, कंट्रोल व प्रिंटिंग में के सूपरवायजर दीपक मिलन, हरिओम शर्मा व राजमणी लौहार को निलंबित कर दिया है। तीनों के साथ ही चौथा आरोपित मिलाकर इन्हे बीएनपी की भाषा में फोरमेन कहा जाता है।
चारों की उपस्थिति में रिजेक्ट नोटों की कतरन कर भट्टी में जलाया जाता है। भट्टी में जलाने के बाद इससे बनने वाली लुग्दी को काम में लिया जाता है। आरोपित के धराने के बाद तीनों को निलंबित किया है, क्योंकि इन्होंने रिजेक्ट नोट चोरी होने पर ध्यान नहीं दिया था। बताया जाता है कि इन तीनों से ऊपर आरोपित वरिष्ठ पर्यवेक्षक था, जिसके द्वारा रिजेक्ट नोटों पर अंतिम कार्रवाई की जाती है।
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