कल्याण लोकसभा चुनाव: एनसीपी के बाबाजी पाटिल और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे में देखने को मिलेगा कड़ा मुकाबला
मुंब्रा। कल्याण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। क्षेत्र का विकासपथ तय हो गया है जिसमें स्थानीय निकायों के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार की बड़ी भूमिका है। क्षेत्र के बदलते स्वरूप के कारण क्षेत्र में नागरिक सुविधाओं की मांग बढ़ना स्वभाविक है। वर्ष 2009 में नए परिसीमन के बाद यह नया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अंबरनाथ, उल्हासनगर, कल्याण पूर्व, डोंबिवली, कल्याण ग्रामीण और मुंब्रा-कलवा विधानसभा क्षेत्र हैं।
इस क्षेत्र में गैरकानूनी निर्माण कार्य एक बड़ी समस्या है। पानी की बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए विकल्प की तलाश जनप्रतिनिधियों के लिए बड़ी चुनौती है। इस संसदीय क्षेत्र के पहले चुनाव में शिवसेना के आनंद परापंजे ने एनसीपी के दिग्गज वसंत डावखरे को पराजित किया था। इसके बाद शिवसेना के साथ अनबन होने के बाद परापंजे ने शिवसेना छोड़ एनसीपी की 'घड़ी' पहन ली। 2014 के चुनाव में शिवसेना ने युवा नेता श्रीकांत शिंदे को उतारा। शिंदे ने परांजपे को औंधे मुंह गिरा दिया। शिंदे इस बार फिर से चुनाव मैदान में हैं।
श्रीकांत के सामने एनसीपी के बाबाजी पाटील
कल्याण लोकसभा सीट पर शिवसेना की छाप दिखाई देती है। स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक पर शिवसेना-बीजेपी का कब्जा है। माना जा रहा है कि यहां से शिवसेना को हराना किसी भी दूसरे दल के उम्मीदवार के लिए लोहे के चने चबाने जैसा होगा। पिछले पांच साल में डॉ. शिंदे ने अपने पिता, राज्य के मंत्री एकनाथ शिंदे से हटकर अपनी छवि बनाई है, जिसका फायदा उन्हें मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता।
श्रीकांत शिंदे को चुनौती देने के लिए एनसीपी ने ठाणे के नगरसेवक बाबाजी पाटील को उतारा है। बाबाजी ठाणे मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक भी हैं। वैसे तो, बाबाजी पाटील अगली विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे, मगर उनकी लॉटरी लोकसभा के चुनाव में लग गई। चर्चा है कि न चाहते हुए भी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। उन्होंने पार्टी द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी को एक चुनौती की तरह स्वीकार किया है। कल्याण लोकसभा क्षेत्र में सभी जाति का समावेश है। यह मराठा, उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय, मुस्लिम, मारवाडी और गुजराती समाज की बहुलता वाला क्षेत्र है, लेकिन उत्तर भारतीय मत निर्णायक भूमिका में है। स्थानीय भूमिपुत्र व आगरी कार्ड, आरएसएस, हिंदुत्वादी संगठन आदि का प्रभाव मतदान क्षेत्र पर है।
राजनीतिक नजरिए से देखें, तो कल्याण लोकसभा चुनाव क्षेत्र में राजनीतिक दल कई गुटों में बंटे हैं। खासकर, कांग्रेस और एनसीपी में गुटबाजी का असर एनसीपी के उम्मीदवार पर पड़ेगा। एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से एनसीपी को समर्थन देने की अपील की है। राज की अपील को एमएनएस के मतदाता कैसे निभाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
पांच साल का रिपोर्ट कॉर्ड
32 वर्षीय डॉ. श्रीकांत शिंदे की लोकसभा में उपस्थिति 83 प्रतिशत रही। उन्होंने सदन में 930 प्रश्न उठाए और आठ प्राइवेट बिल भी पेश किए। शिंदे ने अपनी विकास निधि के 25 करोड़ रुपये का पूरा उपयोग किया। उनके प्रयास से ही कल्याण और डोंबिवली रेलवे स्टेशन पर बदलाव आया। एस्केलेटर लगवाया गया और नए-नए पुल बनाए गए। ठाकुर्ली और दिवा रेलवे स्टेशन में बड़ा बदलाव आया। साफ-सफाई के लिए पुरस्कृत भी किया गया।
अंबरनाथ के बाद चीखलोली रेलवे स्टेशन को मंजूर कराया। मेट्रो योजना पर मोहर लगाई गई। शील फाटा से लेकर कल्याण तक चार लेन सड़क, हाजी मलंग पर जाने के लिए रोप-वे का काम चल रहा है। कल्याण-डोंबिवली और उल्हासनगर में ट्रैफिक जाम की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। 27 गांव को नगरपालिका बनाने का आश्वासन, एमएमआरडीए द्वारा बनने वाली ग्रोथ सेंटर का विरोध, एमआईडीसी परिसर की दुर्दशा, जमीन के मुद्दे पर स्थानीय भूमिपुत्रों की नाराजगी, जैसे अनगिनत मुद्दे हैं, जो आने वाले प्रतिनिधि के लिए हल करना चुनौतीपूर्ण होगा।
स्थानीय निकाय
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा में मिलाजुला रुख रहा, जबकि स्थानीय निकाय के चुनावों में शिवेसना-बीजेपी की जीत का झंडा बुलंद है। यहां के छह विधानसभा क्षेत्रों में शिवसेना और एनसीपी के दो-दो विधायक जीते हैं, जबकि बीजेपी का एक विधायक रवींद्र चव्हाण डोंबिवली से जीते। वे फडणवीस सरकार में राज्य मंत्री हैं।
कल्याण पूर्व विधानसभा चुनाव में गणपत गायकवाड जीतकर आए, जो सरकार के साथ हो गए। स्थानीय निकायों की बात करें तो कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका पर शिवसेना-बीजेपी का झंडा बुलंद है जबकि उल्हासनगर पर शिवसेना-बीजेपी और ओमी कलानी की सत्ता है। अंबरनाथ मनपा में शिवसेना की सत्ता है।
छह हजार मतदाता बढ़े
कल्याण लोकसभा चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 6,078 बढ़ी है। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में 19 लाख 21 हजार 530 मतदाता थे जबकि 31 जनवरी 2019 तक 19 लाख 27 हजार 608 मतदाता है।
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