नवी मुंबई. नवी मुंबई महानगर पालिका अस्पताल का अजब-गजब कारनामे सामने आने लगे हैं। कभी मरीजों के साथ भेदभाव तो कभी दवा में हेराफेरी। सफाई कर्मियों का मरीजों के साथ अभद्र व्यवहार भी चर्चा में आ चुका है। इन दिनों गर्भवती महिलाओं को यहां कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कोपर खैरने में माता बाल रुग्णालय बंद होने से अब वाशी स्थित सार्वजनिक मनपा अस्पताल ही एक मात्र उम्मीद है, जबकि नेरुल व बेलापुर क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए नेरुल में शुरू किए गए मनपा अस्पताल में प्रसूति विभाग अनियमित रूप से चल रहा है। महिलाओं को वाशी या फिर नेरुल के डी.वाय.पाटिल अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है।
नवी मुंबई महानगर पालिका ने करोड़ों रुपए खर्च करके नेरुल और एरोली में माता बाल रुग्णालय नाम से सार्वजनिक अस्पताल तैयार किया था। अस्पताल की इमारत बनकर खड़ी होने के बाद अधिकारी, डॉक्टर व कर्मचारी नहीं होने के कारण लगभग एक महीने तक अस्पताल को बंद रखा गया। नेरुल में तैयार किए गए मांसाहेब मीनाताई ठाकरे सार्वजनिक अस्पताल के प्रसूति विभाग में महिला विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से प्रसूति गृह का कामकाज बंद रखा गया था, जिससे उक्त क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को वाशी या डी.वाय.पाटिल अस्पताल जाना पड़ता था।
आखिरकार कुछ दिन बाद प्रसूति विभाग में दो महिला डॉक्टर की नियुक्ति की गई, उसके बाद उक्त विभाग का कामकाज शुरू हुआ। जबकि ऐसा भी कहा जा रहा है कि मनपा आयुक्त ने डॉक्टरों को मिलने वाले मानधन को 59 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपए कर दिया है। बावजूद नेरुल सार्वजनिक अस्पताल में प्रसूति विभाग की दशा जस का तस ही है, क्योंकि अभी भी अस्पताल कभी बंद तो कभी शुरू रहता है, अगर गर्भवती महिलाएं वहां पहुंचती हैं तो कभी यह कहकर उन्हें वापस लौटा दिया जाता है कि डॉक्टर नहीं है तो कभी प्रसूति विभाग बंद होने की बात कहकर महिलाओं को वापस कर दिया जाता है। कोपर खैरने सेक्टर-22 में मनपा की माता बाल रुग्णालय वर्षों पहले बंद कर दिया गया, यह अस्पताल बंद होने के बाद गर्भवती महिलाओं को वाशी जाना पड़ता है। इस परिक्षेत्र में रहने वालों के लिए एक मात्र सार्वजनिक अस्पताल वाशी का है जहां मरीजों की संख्या इतनी अधिक रहती है कि ज्यादातर महिलाओं को यह कहकर वापस कर दिया जाता है कि बेड उपलब्ध नहीं है।
नेरुल परिसर में माता बाल रुग्णालय जिस उद्देश्य से शुरू किया गया था और स्थानीय महिलाओं ने अस्पताल शुरू होने पर जो खुशी जाहिर की थी आज उनकी खुशियों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। प्रसव विभाग को दिन-रात पूरी क्षमता के साथ शुरू करने के लिए छह स्त्रीरोग विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। लेकिन यहां सिर्फ चार स्त्रीरोग विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं। परंतु दो डॉक्टरों के भरोसे 24 घंटे इस विभाग को जारी रखना संभव नही है। यह प्रसूति विभाग ज्यादातर बंद ही रहता है।
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