मुंबई। कोई परेशानी या छोटी-मोटी वारदात होने पर आम आदमी पुलिस थाने जाने से बचता है क्योंकि अक्सर पुलिस का रवैया उदासीन ही होता है। आम आदमी के लिए यह मामूली बात होती है। मगर, एक महिला पुलिस अधिकारी को पुलिस के इस रवैया से भी दो-चार होना पड़ा। सादी वर्दी में उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) सुजाता पाटिल अंधेरी स्टेशन में ऑटो ड्राइवर की शिकायत करने पहुंची। मगर, तब उन्हें पता चला कि पुलिस आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करती है। मामला 24 मार्च का है। सुजाता पाटिल हिंगोली में तैनात हैं। वह भोपाल से वापस लौटकर अंधेरी स्टेशन पर पहुंची। उनके पैर में फ्रैक्चर था और वह किसी तरह से अपने बैग को घसीटते हुए ऑटो वाले के पास पहुंची। मगर, सभी ऑटो वालों ने जाने से इंकार कर दिया। इससे परेशान होकर जब वह रेलवे स्टेशन के पास पुलिस चौकी में मदद के लिए गईं, तो वहां तैनात कॉन्सटेबल ने भी सुजाता का मजाक उड़ाते हुए उनकी मदद करने से इंकार कर दिया।
सुजाता ने कहा कि वह उनके व्यवहार को देखकर चौंक गईं। कॉन्सटेबल का व्यवहार काफी कठोर था और उसने कहा कि यह उसका काम नहीं है। बताते चलें कि उस वक्त सुजाता वर्दी में नहीं थीं, लिहाजा कॉन्सटेबल ने भी उनकी व्यथा को हल्के में लिया।
एक दशक से अधिक समय तक मुंबई पुलिस में सेवा दे रही पाटिल कॉन्सटेबल के व्यवहार से आहात हो गईं। पाटिल ने अपनी व्यथा फेसबुक पर पोस्ट की। इसके बाद शीर्ष अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच का आदेश दे दिया है। डीएन नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक परमेश्वर गण्मे ने कहा कि हमने इस घटना को संज्ञान में ले लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं। अब आप सोच सकते हैं कि जब सादी वर्दी में गई महिला पुलिस अधिकारी के साथ पुलिस ने इस तरह से व्यवहार किया, तो आम नागरिकों के साथ पुलिस किस तरह से पेश आती होगी? यही कारण है ज्यादातर लोग छोटे मोटे झगड़ों और हादसों को लेकर पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस से शिकायत करने से बचते रहते हैं। ऐसे कई मामलों में देखा या सुना जाता रहा है कि गलती न होने पर भी पुलिस उलटा शिकायत कर्ता को ही अपने अंदाज़ मे डराने और धमकाने लगती है।
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