ठाणे। ठाणे में साल 2002 में सड़क दुर्घटना में मारे गए इंजीनियर के परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) द्वारा यह आदेश को जारी किया है। कल्याण में एमएसीटी के सदस्य एसपी गोगारकर ने लॉरी के मालिक और द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को संयुक्त रूप से तारीख से सालाना 8 फीसद के ब्याज दर से मुआवजे का भुगतान करने को कहा है। यह आदेश इस महीने की शुरुआत में दिया गया।
13 जनवरी, 2002 में हुई थी इंजीनियर की मौत,
मुआवजा का दावा करने वाले ठाणे जिले के उल्हासनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल को सूचित किया कि मृतक विनोद रामशंकर पांडेय (32) पेशे से सिविल इंजीनियर थे। वह स्वरोजगार करते थे और प्रतिवर्ष 72,851 रुपये कमाते थे। दावेदार ने बताया, 13 जनवरी 2002 को इंजीनियर विनोद रामशंकर पांडेय अपने एक दोस्त के साथ ठाणे से कार में हाजिरा जा रहे थे। गुजरात के दुवाड़ा में अंधेल गांव के पास सामने से आ रही एक लॉरी से कार की टक्कर हो गई। ये रोड सिंगल ट्रैक थी। इस सड़क दुर्घटना में पांडेय और उसके दोस्त ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पीड़ित परिवार ने 31.75 लाख रुपये का दावा ठोका था,
मृतक पांडेय के परिवार में उनकी 31 वर्षीय पत्नी, वृद्ध माता-पिता और तीन नाबालिग बच्चे हैं। पीड़ित परिवार ने पहले तो 12.5 लाख रुपये का दावा पेश किया जिसमें बाद में बदलाव कर 31.75 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की गई। परिवार ने कहा था कि पांडेय की पर्याप्त कमाई थी और इस कमाई से वे खुशी से जीवन जी रहे थे। वे अपने परिवार को बेहतर पालन-पोषण के लिए आगे भी और कमाने का इरादा रखते थे।
लॉरी ड्राइवर की लापरवाही से हुआ था हादसा,
बता दें कि लॉरी का मालिक ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं हुआ, इसलिए फैसला पहले ही उसके खिलाफ चला गया था। लेकिन बीमा कंपनी ने दावा दायर किया और कहा कि मृतक लापरवाह था और यह सहायक लापरवाही का मामला है। यह भी कहा गया कि दावा अत्यधिक राशि का किया जा रहा है। इस मामले में तर्कों की सुनवाई के बाद एमएसीटी के सदस्य गोगारकर ने कहा कि मृतक की कमाई क्षमता के बारे में जोड़ा गया साक्ष्य वास्तविक है और इसे स्वीकार्य किया जाता है। साक्ष्य और पुलिस दस्तावेजों पर ध्यान में रखते हुए दावेदारों ने यह साबित करने में कामयाब रहे कि लॉरी ड्राइवर की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई।
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