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फेसबुक पर जिसे मरा हुआ बताया वो निकला ज़िंदा...



कासगंज: यूपी से हैरान कर देले वाली खबर आई है। पता लगा है कि कासगंज में हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया का बड़ा रोल रहा। झूठी अफवाहें फैलाई गईं, लोगों को भड़काया गया और झूठे वीडियो के जरिए आग लगवाई गई। कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा भड़की थी। पथराव हुआ था, गोलियां चली थीं और एक शख्स की जान चली गई थी. लेकिन सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई कि हिंसा में दो लोग मारे गए हैं। खून से लथपथ एक शख्स की फोटो वायरल की गई। दावा किया गया कि राहुल उपाध्याय नाम के इस व्यक्ति की मौत हिंसा में हुई है, लेकिन जब पुलिस ने जांच की तो पता लगा कि इस नाम का शख्स कासगंज के एक गांव का रहने वाला है। जो फोटो वायरल की गई वो भी राहुल उपाध्याय की थी लेकिन उसे तो खरोंच तक नहीं आईं।
कासगंज में धड़ल्ले से फैलाई गई झूठी खबरें, एक टीवी चैनल के संवाददाता के भास्कर मिश्रा के मुताबिक 26 जनवरी को जब हिंसा हुई तो राहुल उपाध्याय कासगंज में था ही नहीं। फोटोशॉप के जरिए उसकी तस्वीर को खून से लथपथ दिखा कर उसकी हत्या का दावा किया गया। दूसरी बड़ी बात सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि तिरंगा यात्रा के दौरान पथराव हुआ और कुछ लोगों ने यात्रा के विरोध में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए इसलिए माहौल खराब हुआ। इसके वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हुए लेकिन असलियत ये है कि  26 जनवरी को कासगंज में पाकिस्तान जिंदाबाद जैसे कोई नारे नहीं लगे थे। इसके जो वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किए गए वो भी झूठे थे उनमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भावनाओं को भड़काने के लिए अलग से डाले गए थे।
जिसे मृत दिखाया गया, आज वो सामने आया,
जब राहुल उपाध्याय की मौत का दावा करने वाली फोटो सोशल मीडिया में सर्कुलेट हुई तो पुलिस ने राहुल को ढूंढना शुरु किया। आज अलीगढ़ रेंज के आईजी संजीव गुप्ता खुद राहुल उपाध्याय को मीडिया के सामने लेकर आए। उन्होंने बताया, राहुल बिल्कुल ठीक हैं। कोई चोट नहीं लगी...जो लोग ऐसी अफवाह फैला रहे हैं उन सभी को गिरफ्तार करेंगे।
राहुल उपाध्याय ने बताया कि उनके पास कई शहरों से खबर आई कि उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। उनकी मौत पर शोक सभा हो रही है। राहुल ने बताया कि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे..चूंकि माहौल खराब था इसलिए वो पुलिस के पास जाने से डर रहा था।

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