Skip to main content

कासगंज हिंसा में अपनी एक आँख गवाने वाले अकरम हबीब की भावुक अपील..



यूपी । गणतंत्र दिवस के दिन उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गयी जबकि कई घायल हो गए। इस हिंसा में अपने रिश्तेदारों के यहाँ आए अकरम हबीब भी घायल हो गए। उनकी एक आँख चली गयी। उन्होंने उनके साथ पूरी घटना की आप बीती को बताते हुए कहा की मेरे ऊपर हमला करने वालों में कुछ अच्छे लोग भी थे। मैं रास्ता पूछने के लिए रुका तो भीड़ ने दाढ़ी देखकर मुझ पर हमला कर दिया। फ़िलहाल अकरम अलीगढ़ में अपना इलाज करा रहे है। इस दौरान उन्होंने दोनो समुदाय से अमन और शांति बनाए रखने की भावुक अपील की। उन्होंने बताया कि मुझ पर हमला करने वालों में कुछ अच्छे लोग भी थे, इसलिए उन्होंने मेरी जान बख़्स दी। फ़िलहाल उनकी अपील की यह विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें वह उस परिवार से भी संवेदना जताते हुए दिख रहे है जिसके घर का चिराग़ हिंसा की भेंट चढ़ गया।
विडियो में अकरम कह रहे है,’ मैं लखीमपुर खीरी से अपनी बीवी के साथ कासगंज आया हुआ था। इस दौरान कुछ लोगों ने हमारे ऊपर हमला किया। इंटे पत्थर लाठी सब मारा। अफ़सोस हुआ की कुछ लोग इतने ग़ुस्से में थे की उन्हें यह भी नही दिखाइ दिया की ये लोग यहाँ के नही राहगीर है। उन्हें इंसान ने नही शैतान ने बरगलाया था। अल्लाह उनको माफ़ करे और उनको हिदायत दे। उसमें कुछ लोग अच्छे भी थे। जिन्होंने मेरे ऊपर रहम फ़रमाकर मुझे छोड़ दिया। मुझको गाड़ी की चाबी वापिस कर दी। मुझे वहाँ से जाने दिया।’ अकरम ने आगे कहा,’ यह वक़्त का फेर था। जिस इंसान की जान गयी उसके घरवालों पर क्या बीत रही होगी। हिंदू भाई था मेरा जिसकी जान चली गयी। उन्होंने मेरी जान बख़्स दी इससे बढ़कर मेरे लिए क्या होगा? मैं अपील करता हूँ अपनी क़ौम से, हिंदू भाइयों से, आपस में न लडे, मिल जुलकर रहे। हर इंसान एक इंसान है, बाद में वह मुसलमान और हिंदू है। अल्लाह इन्हें हिदायत दे, इन लोगों की वजह से मैं आज अपनी लड़की को देख पाया, उन्होंने मेरी जान बख़्स दी। नही तो उसी माहौल में वह मुझे मार देते तो मैं अपनी बेटी को भी नही देख पाता। अकरम ने हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाए रखने की अपील करते हुए कहा,’ बहुत अच्छे लोग थे वह जिन्होंने ज़ुल्म करने के बाद भी मुझे ज़िंदगी दे दी।बस दुआ करता हूँ की जो उनकी दिल में जो गंदगी है, मारने पीटने की उसको हटाके सुकून और अमन दे। मैं संदेश देना चाहता हूँ की हिंदू और मुस्लिम एक होकर रहे, ज़िंदगी में अमन और सुकून लाए। हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाए, हिंदुओ का स्थान न बनाए की यहाँ मुस्लिमों का रहना दुशवार हो जाए।

Comments

Popular posts from this blog

आँनलाइन फार्मेसी के खिलाफ आज दवा दुकानदार हड़ताल पर

मुंब्रा। ई-कॉमर्स से दवा बिक्री होने के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर के दवा दुकानदार हड़ताल पर रहेंगे। इस हड़ताल में दिल्ली में मौजूद 12 हजार से अधिक दवा विक्रेता शामिल होंगे। हालांकि, अस्पतालों में स्थित दवा दुकानों को हड़ताल से बाहर रखा गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ दुकानदारों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने की भी तैयारी की है। इस बारे में ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआइओसीडी) के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार ने इंटरनेट के जरिये दवाओं की बिक्री यानी ई-फार्मेसी को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के खिलाफ 28 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल में देशभर के 7 लाख खुदरा व 1.5 लाख थोक दवा दुकानदार शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन साढ़े आठ लाख दुकानों से करीब 40 लाख स्टॉफ जुड़े हैं। इसके अलावा 1.5 से 2 करोड़ औषधि प्रतिनिधि भी हड़ताल में शामिल होंगे, क्योंकि ऑनलाइन फार्मेसी से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। एआइओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि सवाल मात्र व्

महाराष्ट्र दिवस: 1960 में आया था महाराष्ट्र अस्तित्व में: जानिए इसका इतिहास

 मुंबई। देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप एक मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ था। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जोकि पहले चार अलग-अलग प्रशासनों के नियंत्रण में थे। इनमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन और गोवा के बीच का जिला, हैदराबाद के निजाम की रियासत के पांच जिले, मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण आठ जिले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थीं, जो समीपवर्ती जिलों में मिल गईं थीं। महाराष्ट्र प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से एक समान है। यहां का मुंबई बंदरगाह अरब सागर का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है। भौतिक दृष्टि से यह राज्य मुख्यतः पठारी है। महाराष्ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों का निर्माण करते हैं और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व की ओर धीरे-धीरे बढ़ती है। राज्य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियां हैं, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाड़ियां राज्य के मध्य भाग से होकर जाती हैं। अरब सागर महाराष्ट्र

महाराष्ट्र से वापस लौट सकेंगे प्रवासी मजदूर,डीएम की अनुमति होगी जरूरी

मुंबई। लॉकडाउन की वजह से देशभर में लॉकडाउन लागू है. अलग-अलग राज्यों के मजदूर और लोग दूसरे राज्यों में फंस गए हैं. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख गुरुवार को कहा कि प्रवासी और अन्य फंसे हुए लोग अपने-अपने राज्यों में जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद वापस लौट जाएंगे. जिला मजिस्ट्रेट ही प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए नोडल अधिकारी की भूमिका में होंगे. लोगों को नाम, मोबाइल नंबर, गाड़ियों का विवरण(अगर हो तो), राज्य में अकेले हैं या साथ में हैं, इन सबका क्रमवार ब्यौरा देना होगा. महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगभग 6 लाख मजदूर फंसे हैं. ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के हैं. इस वक्त इन मजदूरों के रहने-खाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार पर है. हालांकि कुछ मजदूर अपने गृह राज्य जाने की मांग कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय की ओर से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक मजदूर अपने राज्यों को लौट सकेंगे. राज्य इसके लिए तैयारी कर रहे हैं. दरअसल बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की मांग के बाद गृह मंत्रालय ने अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, लोगों और