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तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द, जो बेटे की मौत से भी नहीं टूटा वो चुनाव आयोग में हार गया



वाराणसी. आखिरकार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज हो गया। अब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उन्हें समाजवादी पार्टी ने नामांकन के आखिरी वक्त में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था। हालांकि सपा की घोषित उम्मीदवार शालिनी यादव ने भी नामांकन किया था। तेज बहादुर का पर्चा खारिज होने के बाद अब शालिनी ही सपा की उम्मीदवार होंगी। बीएसएफ में रहते हुए सेना के जवानों के लिये रोटी की जंग छेड़ने वाले तेज बहादुर यादव के लिये यह दूसरा झटका है।
तेज बहादुर यादव के वकील का बायन

रद्द हुआ नामांकन तो मायूस दिखे तेज बहादुर यादव
समाजवादी पार्टी का साथ मिलने के बाद अचानक ही तेज बहादुर यादव नरेन्द्र मोदी के मुकाबले में आ गए। पर नामांकन पत्रों की जांच के दौरान 30 अप्रैल को उनका निर्दीलीय नामांकन रद्द करते हुए सपा के टिकट वाले नामांकन पर भी आपत्ति लग गयी। आयोग ने उन्हें एक अप्रैल को 11 बजे तक उन्हें चुनाव आयोग से एनओसी प्रमाण पत्र लाने को कहा और आखिरकार एक अप्रैल को आयोग ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी। अपना नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर यादव मायूस दिखे। उन्होंने कहा कि वह आयोग को अपने बारे में सारी जानकारियां दे चुके थे। तेज बहादुर यादव ने कहा कि यहां के जिलाधिकारी पर बहुत दबाव था इसलिये उनका नामांकन रद्द कर दिया गया।
एक भाई बीएसएफ तो दूसरा गुजरात पुलिस का जवान
हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के राताकलां गांव निवासी तेज बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं। उनके दादा ईश्वर सिंह ने सुभाष चन्द्र बोस के साथ रहते थे। खेतीबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले तेज बहादुर यादव के पांच भाई हैं। सबसे बड़े भाई सुभाष चन्द्र गुजरात पुलिस में नौकरी करते हैं तो एक भाई और व तेज बहादुर यादव बीएसएफ के जवान हैं। एक भाई कृष्ण दीप खेती करते हें। उनकी पत्नी का नाम शर्मिला है जो किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती हैं।
रोटी की जंग में छूटा बेटे का साथ
तेज बहादुर यादव एक तरफ रोटी की जंग लड़ रहे थे और दूसरी ओर इसी दौरान उनका जवान बेटा उनका साथ छोड़कर हमेशा के लिये दुनिया से कूच कर गया। वह दिल्ली विश्वविद्यालय का बीए फर्स्टईयर का छात्र था। तेज बहादुर के 22 साल के बेटे रोहित की मौत 18 जनवरी 2019 को तब हुई जब तेज बहादुर का परिवार प्रयागराज कुम्भ में गया हुआ था। बताया गया कि उसने हरियाणा के रेवाणी स्थित अपने आवास पर ही खुद को गोली मार ली थी। उस समय उसकी मां भी अपने ऑफिस में थी। इसके बाद तेज बहादुर यादव और उनका परिवार इससे बुरी तरह टूट गया। बावजूद इसके तेज बहादुर यादव ने हार नहीं मानी और जद्दोजेहद में लगे रहे।
बीएसएफ के जवान रहे तेज बहादुर यादव तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने एक वीडियो वायरल कर खराब खाने की शिकायत की थी। वीडियो के वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने होम मिनिस्ट्री और बीएसएफ से भी इसकी रिपोर्ट मांग दी थी। इस बीच तेज बहादुर यादव के वीआरएस का आवेदन भी रिजेक्ट कर दिया गया। जांच पूरा होने तक उनके बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स छोड़ने पर भी रोक लगा दी गयी है। तेज बहादुर यादव अब सैनिकों के लिये सैनिकों की समस्याओं ओर उनके हितों की रक्षा के लिये फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नाम से एनजीओ बनाकर चला रहे हैं।

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