ठाणे। देश के भविष्य की बागडोर बच्चों के हाथों में होती है और इन बच्चों को अच्छाई का रास्ता दिखाने का जिम्मा शिक्षा के मंदिर, स्कूलों पर होता है। अक्सर स्कूल बच्चों को इंसानियत का पाठ तो पढ़ा ही देते हैं, ठाणे का एक स्कूल एक कदम आगे निकल गया है। यहां के श्रीमती सुलोचनादेवी सिंघानिया ने अपने 50 साल पूरे होने के साथ ही एक पूरा गांव गोद लेने का फैसला किया है।
स्वास्थ्य सेवा, वॉटर टैंक, सोलर पैनल और भी बहुत कुछ
स्कूल ने येऊर हिल्स इलाके के जंबुलपाड़ा को गोद लिया है। स्कूल 'अडॉप्ट अ विलेज' प्रॉजेक्ट के तहत गांव को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं, वॉटर स्टोरेज टैंक, सोलर पैनल, आदि मुहैया कराएगा। स्कूल की प्रिंसिपल और डायरेक्टर (एजुकेशन) रेवती श्रीनिवासन ने बताया कि पिछले दो साल से येऊर के आदिवासी इलाकों से बच्चे उनके स्कूल के कंप्यूटर लैब्स में पढ़ने आते थे।
पढ़ने आते हैं आदिवासी इलाकों के बच्चे,
हर शनिवार को उन्हें टेक्नॉलजी और कंप्यूटर ऑपरेशन्स में हो रहे विकास के बारे में पढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें मैथ्स, इंग्लिश, योग, खेल आदि की शिक्षा दी जाती है। इस साल से स्कूल शिक्षा से एक कदम आगे बढ़ाकर मिसाल पेश करने की तैयारी में है।
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